Jharkhand News, Ranchi News, Turi Language Research रांची : लुप्तप्राय भाषा को बचाने के लिए डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी भाषा संस्कृति प्रलेखन केंद्र शोध कर रहा है. इसमें सबसे पहले असुर भाषा की जानकारी जुटायी गयी, जिसे लंदन यूनिवर्सिटी ने अपनी वेबसाइट में जगह दी और इस भाषा के बारे में पूरी दुनिया को बताया. वहीं अब केंद्र तुरी भाषा पर शोध कर रहा है. इस भाषा को बच्चों के बीच लाने के लिए पिक्टोरियल तैयार किया जा रहा है,ताकि वह इसके बारे में जान सकें. केंद्र के निदेशक डॉ अभय सागर मिंज ने बताया कि हमारी टीम इस पर काम कर रही है और जल्द ही इस पर एक किताब भी सामने आयेगी.
डॉ अभय सागर मिंज ने बताया कि तुरी भाषा से संबंधित एक पिक्टोरियल बच्चों के लिए तैयार किया जा रहा है. इसमें तुरी भाषा से संबंधित 274 स्वदेशी शब्दों की लिस्ट तैयार की गयी है. पिक्टोरियल के साथ इन्हीं में से चुने हुए शब्दों को रखा जायेगा.
वहीं इस पिक्टोरियल को तुरी भाषा से जुड़े बच्चों को उपहार के रूप में दिया जायेगा. डॉ अभय ने बताया कि शोध के दौरान पता चला कि तुरी भाषी लोग तो हैं लेकिन इस भाषा को बोलनेवाले लोग कम हैं, जो झारखंड में सभी जगहों पर पाये जाते हैं. लेकिन इनकी संख्या गुमला जिला में अधिक है.
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डीएसपीएमयू के भाषा संस्कृति एवं प्रलेखन केंद्र कर रहा है शोध
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लुप्तप्राय भाषा को बचाने के लिए चल रहा है काम
डॉ अभय ने बताया कि तुरी भाषा पर शोध कार्य चल रहा है. इसके लिए अलग-अलग जगहों से डेटा कलेक्शन का काम चल रहा था. लेकिन कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के कारण फिलहाल इस रोक दिया गया है. हमारी कोशिश है कि जल्द इस पर काम पूरा हो सके. वहीं इससे संबंधित एक किताब भी लिखी जा रही है.
Posted By : Sameer Oraon