Fish Farming In Jharkhand: राज्य के मत्स्य पालकों को मिलेगा KCC लोन
राज्य के मत्स्य पालकों को अब मछली कारोबार से जुड़े विभिन्न कार्यों के लिए पूंजी का अभाव नहीं झेलना पड़ेगा. राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति और कृषि मंत्रालय द्वारा मत्स्य व पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड ऋण योजना का लाभ देने के लिए आवेदन मांगा गया है.
Ranchi news: राज्य के मत्स्य पालकों को अब मछली कारोबार से जुड़े विभिन्न कार्यों के लिए पूंजी का अभाव नहीं झेलना पड़ेगा. राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति और कृषि मंत्रालय द्वारा मत्स्य व पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड ऋण योजना का लाभ देने के लिए आवेदन मांगा गया है. इसके लिए केंद्र सरकार के निर्देश के बाद विशेष साप्ताहिक अभियान शुरू किया गया है. इसके तहत प्रत्येक शुक्रवार को बैंक शाखाओं में विशेष शिविर लगाकर केसीसी से वंचित किसानों को इसे उपलब्ध कराने को कहा गया है. किसानों के आवेदन जमा होने के 15 दिनों के अंदर इसकी स्वीकृति व भुगतान की व्यवस्था की गयी है. केसीसी का लाभ लेकर मत्स्य उत्पादन और कारोबार से जुड़े लोगों को बेहतर मुनाफा अर्जित करने को लेकर इस तरह के प्रयास किये गये हैं, ताकि राज्य मछली का उत्पादन और बिक्री के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके.
जिला स्तर पर कमेटी बनी
मत्स्य व पशुपालकों के जितने आवेदन स्वीकार्य किये जा रहे हैं, उससे ज्यादा आवेदन खारिज किये जा रहे हैं. इसे नियंत्रित करने के लिए राज्य के सभी जिलों में समिति का गठन किया गया है. इसमें जिला पशुपालन पदाधिकारी, डीडीएम नाबार्ड और बैंक के प्रतिनिधि शामिल होकर केसीसी आवेदन स्वीकार्य करेंगे. फिलहाल करीब पांच हजार किसान क्रेडिट कार्ड मत्स्य पालकों और पशुपालकों को दिये गये हैं.
निबंधित लीज व वैध पट्टा इकाई का होना जरूरी
केसीसी योजना के तहत मत्स्य किसानों, मछुआरों, मत्स्य व्यवसायी, स्वयं सहायता समूह, जेएलजी, महिला समूह जिनके पास तालाब हो, मत्स्य हैचरी, नर्सरी तालाब, मत्स्य पालन इकाई, मत्स्य बिक्री इकाई और इससे संबंधित अन्य व्यवसाय होंगे, उन्हें लाभ दिया जायेगा. लाभुक के पास निजी या निबंधित लीज, वैध पट्टा इकाई का होना जरूरी है.
मछली कारोबारियों से आवेदन मांगा गया
मत्स्य किसानों, मछुआरों और मछली कारोबारियों से आवेदन मांगा गया है. इनके लिए विभिन्न मत्स्य क्रियाओं के लिए कार्यशील पूंजी के रूप में सात प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण देने की योजना है. मत्स्य कृषकों द्वारा समय पर राशि वापस करने पर भारत सरकार की ओर से तीन प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज की छूट का भी प्रावधान है. इसके बाद मत्स्य कृषकों को महज चार फीसदी ब्याज का ही भुगतान करना पड़ेगा.