रांची : राज्य सरकार के अधीन चलनेवाला राजकीय बीएड कॉलेज कांके (सरकारी बीएड कॉलेज) को एक साल बाद भी सत्र 2020-21 की नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एडुकेशन (एनसीटीइ) से मान्यता नहीं मिल सकी. मान्यता नहीं मिलने से झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद ने सत्र 2021-23 में नामांकन के लिए चल रही काउंसेलिंग में उक्त कॉलेज को सूची से बाहर कर दिया है, जबकि सत्र 2020-22 के तहत झारखंड संयुक्त प्रवेश परीक्षा पर्षद से नामांकित सौ में से 98 विद्यार्थी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं.
एनसीटीइ से मान्यता नहीं मिलने के कारण इन विद्यार्थियों का रांची विश्वविद्यालय की ओर से रजिस्ट्रेशन करने से साफ इनकार कर दिया गया. वहीं उक्त सत्र की प्रथम वर्ष की परीक्षा भी नहीं हो सकी. विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का लाभ भी नहीं मिल पाया है. अपने भविष्य को लेकर विद्यार्थी कभी माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, रांची विवि तो कभी उच्च शिक्षा निदेशालय का चक्कर लगा रहे हैं. विद्यार्थियों का आरोप है कि जब उक्त सत्र की मान्यता ही नहीं थी, तो झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद ने नामांकन कैसे कर दिया. अब हर विभाग पिछले एक साल से सिर्फ आश्वासन ही दे रहा है.
जानकारी के अनुसार एनसीटीइ के नियमानुसार कॉलेज में 16 स्थायी शिक्षक व कर्मचारी का होना आवश्यक है. माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने सात शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की है. बाकी पद रिक्त हैं. वहीं कर्मचारियों के आठ पद रिक्त हैं. वरीय शिक्षक को प्राचार्य का प्रभार दिया गया है. लेकिन निकासी व व्ययन पदाधिकारी क्षेत्रीय शिक्षा संयुक्त निदेशक अरविंद विजय विलुंग हैं. सभी बीएड कॉलेज की जिम्मेवारी उच्च शिक्षा निदेशालय को दी गयी है. लेकिन अब भी आधा कार्य माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से ही चल रहा है.
उच्च शिक्षा निदेशालय ने शिक्षक नियुक्ति के लिए रांची विवि को पत्र भेज दिया, जबकि विवि ने निदेशालय को अवगत कराया कि यह सरकारी बीएड कॉलेज है. शिक्षक नियुक्त का अधिकार विवि को नहीं है. इसके बाद निदेशालय ने माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को पत्र भेज कर शिक्षक की व्यवस्था करने को कहा है. इस बीच निदेशालय द्वारा एनसीटीइ की फीस लगभग 40 हजार रुपये भेज दिया गया है. लेकिन न तो कॉलेज में अब तक शिक्षक नियुक्त हुए हैं अौर न ही एनसीटीइ की टीम ने विजिट की है अौर न ही मान्यता मिली है.
Posted by : Sameer Oraon