मन की बात में पीएम मोदी ने झारखंड के जिस गांव का किया जिक्र, उसकी कैसे बदली तस्वीर ?
पीएम मोदी ने रांची के सपारोम नयासराय तालाब की अपने मन की बात में चर्चा की, जिसके बाद लोगों के मन में ये सवाल उठना लाजमी हो गया है कि ये तलाब किस जगह पर है और कैसे इसकी तस्वीर महज कुछ दिनो में ही बदल गयी. तो आईये जानते हैं इसकी पूरी कहानी.
Jharkhand News, Ranchi News रांची : आज पूरे देश में नगड़ी गांव के सपारोम नयासराय तालाब की चर्चा हो रही है. यह खुले में शौच से मुक्ति का उदाहरण बन गया है. खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम ( pm modi mann ki baat program ) में स्वच्छता का मानक बन चुके इस तालाब का जिक्र किया. स्थानीय लोग भी गौरवान्वित हैं. उन्हें गर्व है कि पूरे देश में सफाई को लेकर जो परिवर्तन की बात हो रही है, उसमें उनका गांव शामिल है. खुले में शौच को लेकर सरकार ने जो अभियान छेड़ा है, उसमें उनका और सरकार का प्रयास प्रेरणास्रोत बन गया है.
भारत सरकार के स्वच्छता और पेयजल विभाग द्वारा घर-घर में शौचालय का निर्माण करने से खुले में शौच की समस्या से मुक्ति मिली है. अब तालाब भी साफ रहता है. वहीं, यहां आसपास के लोग भी स्नान करने के लिए आते हैं.
द. तुंदुल मुखिया सम्मू खलखो कहते हैं :
तालाब में पहले काफी गंदगी रहती थी और गांव की बहू-बेटियां सुबह में शर्म के कारण तालाब नहीं जा पाती थीं. लेकिन, अब लड़कियां तालाब के आसपास मॉर्निंग वॉक करती नजर आती हैं. अभी आसपास के लोग इसमें स्नान भी करते हैं. गांव की बेटी संगीत खलखो कहती हैं कि पहले हमलोगों को तालाब जाने में शर्म होती थी, लेकिन अब शौक से घूमते हैं और अच्छा लगता है.
घर-घर शौचालय निर्माण से आया बदलाव
स्थानीय लोग बताते हैं कि कुछ साल पहले तक इस तालाब के आसपास लोग खुले में शौच के लिए आते थे. क्योंकि उनके गांव के घरों में शौचालय नहीं था. वर्षों से साल यह सिलसिला चला आ रहा था. हालात ऐसे थे कि लोग इस तालाब के आसपास सामान्य तौर पर आने से इनकार करते थे. लेकिन परिस्थिति बदली. कहानी शुरू हुई भारत सरकार के स्वच्छता और पेयजल विभाग द्वारा घर-घर में शौचालय का निर्माण करने से.
केंद्र और राज्य सरकार ने भी लोगों को लगातार जागरूक किया. जल सहिया सरोज खलखो ने बताया कि तालाब के शौच मुक्त होने से यहां सुबह में चहल पहल भी बढ़ गयी है. अब आसपास के गांव के लोग यहां मार्निंग वाक के लिए पहुंचते हैं. सपारोम गांव की बेटी संगीता खलखो कहती हैं कि पहले सुबह में हमलोगों को यहां आने में शर्म महसूस होती थी. बदलाव की ये कहानी यहां पिछले दो-तीन सालों में दिखी है.
Posted by : Sameer Oraon