Jharkhgand News, Ranchi News रांची : 1932 के समय सीएनटी-एसपीटी जमीन का जिलावार क्षेत्रफल कितना था और वर्तमान में कितना है, इसकी जानकारी लेने को लेकर राज्य सरकार एक स्टेटस रिपोर्ट तैयार कराने का आदेश दे चुकी है. इस रिपोर्ट के तैयार होने से सीएनटी-एसपीटी जमीन के अवैध हस्तांतरण का मूल्यांकन हो सकेगा. 27 सितंबर 2021 को हुई झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) की बैठक में यह बात उठी थी.
तब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह जानकारी दी कि सरकार स्टेटस रिपोर्ट बनवा रही है और इसके लिए विधानसभा की विशेष समिति का गठन किया गया है. टीएसी द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि अनुसूचित जनजातियों की भूमि के अवैध हस्तांतरण के मामले की जांच विधानसभा द्वारा गठित उपसमिति से ही करायी जाये. ज्ञात हो कि विधानसभा द्वारा गठित उपसमिति के संयोजक स्टीफन मरांडी हैं. समिति द्वारा लोगों से शिकायतों की मांग भी की गयी है कि किसकी कितनी जमीन का अवैध हस्तांतरण हुआ है.
इधर, टीएसी की बैठक में लिये गये फैसलों पर अनुपालन को लेकर की गयी अनुशंसा विभागों को भेज दी गयी है. सीएनटी-एसपीटी एक्ट के तहत जमीन के अवैध हस्तांतरण की जांच कराने के संबंध में की गयी अनुशंसा राजस्व, भूमि सुधार एवं निबंधन विभाग को 20 अक्तूबर को ही भेज दी गयी है. ज्ञात हो कि टीएसी की बैठक में पश्चिम बंगाल से सटे सीमावर्ती जिलों यथा पाकुड़, साहिबंगज आदि में भूमि के अवैध हस्तांतरण की बात टीएसी के सदस्य स्टीफन मरांडी ने ही उठायी थी. नमन विक्सन कोनगाड़ी ने बताया था कि अनुसूचित जनजातियों की भूमि को मात्र एकरारनामा कराकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गैर अनुसूचित जनजातियों को आवास स्वीकृत कराया जा रहा है.
Posted By : Sameer Oraon