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Jharkhand News: झारखंड की राजधानी रांची का सबसे पुराना लग्जरी होटल रांची अशोक खंडहर में बदल गया है. होटल अशोक विहार कॉरपोरेशन दिवालिया हो चुका है. वेतन नहीं मिलने की वजह से होटल के कर्मचारी सड़क पर उतर कर आत्मदाह की चेतावनी दे रहे हैं.
आइटीडीसी और बिहार सरकार नहीं कर रही शेयर ट्रांसफर
होटल परिसर जंगल-झाड़ में बदल गया है. इंडियन टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (आइटीडीसी) व बिहार सरकार झारखंड को शेयर हस्तांतरित नहीं कर रहे हैं. इस वजह से राज्य सरकार को चाह कर भी वर्ष 2018 में होटल पर लगाया गया ताला खोलने में सफलता नहीं मिल रही है.
आइटीडीसी के पास होटल रांची अशोक के 51 फीसदी शेयर
होटल अशोक का मालिकाना हक संयुक्त रूप से भारत सरकार, बिहार सरकार व झारखंड सरकार का है. आइटीडीसी के पास होटल के सबसे अधिक 51 फीसदी शेयर हैं. वहीं, बिहार सरकार के पास 37 फीसदी व झारखंड सरकार के पास केवल 12 फीसदी शेयर हैं.
शेयर मद में झारखंड सरकार ने कर दिया है 9.5 करोड़ का भुगतान
वर्ष 2020 में आइटीडीसी व बिहार सरकार ने झारखंड को होटल के सभी शेयर बेचने पर सहमति दी. राज्य सरकार ने आइटीडीसी के पास उपलब्ध शेयरों के मद में लगभग 9.5 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया.
भारत सरकार की नहीं मिली है अनुमति
शेयर हस्तांतरण को लेकर किये गये एमओयू पर आइटीडीसी के तत्कालीन निदेशक पीयूष तिवारी और जेटीडीसी के तत्कालीन निदेशक ए दोड्डे ने हस्ताक्षर किये थे. पर भारत सरकार द्वारा अनुमति नहीं मिलने के कारण शेयरों का हस्तांतरण राज्य सरकार को अब तक नहीं किया गया है.
होटल की जमीन के बदले भी राशि की मांग कर रहा बिहार
बिहार सरकार ने होटल अशोक की जमीन पर दावा किया है. बिहार सरकार ने होटल अशोक के शेयर झारखंड को देने के एवज में लगभग चार करोड़ रुपये मांगे हैं. इस राशि में शेयर की कीमत के साथ जमीन की लीज राशि भी शामिल है. हालांकि, झारखंड सरकार इसका विरोध कर रही है.
जमीन का मालिकाना हक मांग रहा बिहार
राज्य सरकार का कहना है कि बंटवारे के बाद होटल की जमीन का मालिकाना हक झारखंड के पास है. ऐसे में बिहार सरकार का जमीन के एवज में राशि की मांग करना गलत है. वहीं, राज्य सरकार ने बिहार के पास मौजूद शेयरों के एवज में राशि देने पर सहमति प्रदान कर दी है, लेकिन बिहार सरकार से कोई जवाब नहीं मिलने के कारण प्रक्रिया रुक गयी है.
आइटीडीसी और बिहार सरकार के पास मौजूद शेयर झारखंड को अब तक हस्तांतरित नहीं किया गया है. इस कारण होटल का संचालन राज्य सरकार द्वारा संभव नहीं है. हाल के दिनों में फिर से आइटीडीसी और बिहार सरकार से बात कर होटल का मालिकाना हक हासिल करने का प्रयास शुरू किया गया है. अगले कुछ महीनों में सकारात्मक परिणाम मिलने की उम्मीद है.
मनोज कुमार, सचिव पर्यटन विभाग
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