Jharkhand News, Ranchi News, Malnutrition In Jharkhand रांची : राज्य में कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ 1000 दिनों का महाअभियान चलेगा. राज्य सरकार समर परियोजना के माध्यम से यह कार्यक्रम शुरू करने जा रही है. समर परियोजना के तहत करीब तीन वर्षों तक महाअभियान चलेगा. इसका उद्देश्य पर्याप्त और पौष्टिक भोजन प्राप्त करनेवाले बच्चों की संख्या में वृद्धि करना है. इसके साथ ही गर्भावस्था के दौरान मातृ-शिशु मृत्यु और मातृ व बाल स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं को कम करना भी उद्देश्य है.
माताओं, बच्चों और किशोरियों के स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ राज्य सरकार अभियान शुरू कर रही है. इस अभियान की निगरानी खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करेंगे. राज्य गठन के 20 वर्ष बाद भी झारखंड में कुपोषण बड़ी समस्या है. ताजा राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य के 42.9 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं. यह संख्या देश भर में सर्वाधिक है. एनीमिया से झारखंड के 69 प्रतिशत बच्चे और 65 प्रतिशत महिलाएं प्रभावित हैं. इसे देखते हुए सरकार आगे बढ़ी है.
मुख्य सचिव ने राज्यभर में राज्य पोषण मिशन के कार्यान्वयन की योजना के लिए सभी संबंधित विभागों के साथ बैठक कर आवश्यक निर्देश दिया है. महाअभियान को सफल बनाने के लिए झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी, एकीकृत बाल विकास योजना और स्वास्थ्य विभाग की ओर से काम किया जायेगा. प्रथम चरण में पांच जिलों में समर परियोजना शुरू होगी.
उसके बाद राज्य के शेष जिलों में इसे चलाया जायेगा. यह परियोजना संबंधित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, आंगनबाड़ी हेल्पर और जेएसएलपीएस के एसएचजी को जोड़कर एक मुहिम के साथ राज्य के सभी 34, 800 आंगनबाड़ी केंद्रों में शुरू होगी.
समर परियोजना की निगरानी के लिए मुख्यमंत्री डैश बोर्ड लांच करेंगे. परियोजना से संबंधित जानकारी मुख्यमंत्री पोषण डैश बोर्ड में फीड होंगे. डैशबोर्ड न केवल जिले की समीक्षा के प्रदर्शन में मदद करेगा, बल्कि यह क्षेत्र वार वास्तविक अंतर की भी जानकारी देगा.
मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य विभाग को राज्य में मालन्यूट्रिशन (कुपोषण) ट्रीटमेंट सेंटर में बेड की उपलब्धता से संबंधित एक विभागीय सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है. इसके अतिरिक्त कुपोषण और एनीमिया के मामलों वाले आंगनबाड़ी केंद्रों को किचन गार्डेन के साथ मनरेगा के कन्वर्जेंस से सुसज्जित किया जायेगा. महिला एवं बाल विकास विभाग को निर्देश दिया गया है कि वे कुपोषण और एनीमिया से पीड़ित किशोरियों के लिए आहार भत्ता योजना का प्रस्ताव दें.
परियोजना के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भेजने से पूर्व आंगनबाड़ी सेविका,आशा, एएनएम और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के क्षमता निर्माण के लिए प्रखंड स्तरीय कार्यशाला आयोजित की जायेगी. पर्यवेक्षकों, सीडीपीओ और डीएसडब्ल्यूओ के लिए भी जिला स्तर पर उपायुक्तों की उपस्थिति में प्रशिक्षण होगा.
संबंधित क्षेत्रों में परियोजना की निगरानी के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त होंगे. कार्यशाला के दौरान सभी को कुपोषण और एनीमिया के मामलों का निरीक्षण और डाटा संग्रह के लिए एप का उपयोग करना सिखाया जायेगा. सर्वेक्षण के दौरान टीम द्वारा कुपोषण और एनीमिया के लक्षणों से संबंधित जानकारी देने के लिए हर घर में जागरूकता से संबंधित सूचना सामग्री भी वितरित की जायेगी.
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राज्य गठन के 20 वर्ष बाद भी झारखंड में कुपोषण है बड़ी समस्या
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42.9 % बच्चे हैं कुपोषित राज्य के (देश भर में सबसे अधिक) राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण के अनुसार
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69 % बच्चे और 65 % महिलाएं झारखंड की एनीमिया से हैं प्रभावित
परियोजना में एप की मदद से डाटा संग्रह किया जायेगा. अभियान के लिए बनी टीम अपने क्षेत्र में घर-घर जाकर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण से संबंधित जानकारी लेगी.
एनीमिया से पीड़ित 15 से 35 वर्ष आयु वर्ग की किशोरियों, महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की स्वास्थ्य की भी जानकारी ली जायेगी. किसी में भी एनीमिया और कुपोषण के लक्षण दिखने पर जांच के लिए निकटतम आंगनबाड़ी केंद्र में सघन जांच होगी और उसके आधार पर आगे की कार्यवाही की जायेगी.
Posted By : Sameer Oraon