टूट रहा झारखंड में मौलाना आजाद उर्दू विवि का रिजनल सेंटर खोलने का सपना, 13 साल बाद भी नहीं मिली जमीन
मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी अब भी झारखंड में रीजनल सेंटर खुलने की उम्मीद में बैठा है, लेकिन 13 वर्ष जाने के बाद भी उन्हें जमान नसीब नहीं हुई है, परिणाम ये है कि अब ये सेंटर खुलने का सपना टूट रहा है. जमीन देने के नाम पर फाइल को इधर उधर घूमाया जा रहा है.
रांची : झारखंड में माैलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी का रीजनल सेंटर खोलने का सपना टूटता दिख रहा है. रीजनल सेंटर की स्थापना के लिए झारखंड में अब तक जमीन नहीं मिल पायी है. वर्ष 2008 से ही यूनिवर्सिटी के लिए जमीन की खोज हो रही है. उर्दू विषय से उच्च शिक्षा प्राप्त करने को इच्छुक झारखंडी नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के लाभ से वंचित हो रहे हैं. पिछले लगभग 13 वर्षों से उर्दू यूनिवर्सिटी को जमीन देने के लिए जलेबी की तरह फाइलें घुमायी जा रही है.
अंचल कार्यालय, समाहरणालय और आयुक्त कायार्लय से होते हुए फाइल राजस्व व भूमि सुधार विभाग में दाैड़ती रही. लंबी प्रक्रिया के बावजूद यूनिवर्सिटी को प्रस्तावित पांच एकड़ जमीन अब तक नहीं मिल पायी है. इस बीच कई सरकारें आयीं आैर गयीं. देश के पहले शिक्षा मंत्री रहे माैलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती शिक्षा दिवस के रूप में 11 नवंबर मनायी जायेगी, लेकिन उनके ही नाम पर लिया गया यह संकल्प कब पूरा होगा, यह तय नहीं.
कब-कब क्या हुआ :
मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलपति एएम पठान ने 28 अगस्त 2008 को झारखंड सरकार को पत्र लिख कर रीजनल सेंटर खोलने का प्रस्ताव रखा था. राज्यपाल के प्रधान सचिव ने 28 नवंबर 2008 को मुख्य सचिव को पत्र लिख कर यूनिवर्सिटी को जमीन उपलब्ध कराने के लिए मंतव्य भेजने को कहा. राजस्व व भूमि सुधार विभाग के तत्कालीन सचिव आरएस पोद्दार ने रांची के उपायुक्त को पत्र लिख कर यूनिवर्सिटी को पांच एकड़ जमीन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.
दस्तावेज के अनुसार 29 जून 2009 से लेकर 26 मई 2013 तक संचिका कृषि व गन्ना विकास विभाग में पड़ी रही. झारखंंड छात्र संघ के अध्यक्ष एस अली द्वारा मांगी गयी सूचना से इसका खुलासा हुआ. यूनिवर्सिटी का रीजनल सेंटर खोलने का मामला अधर में लटका रहा. राजस्व व भूमि सुधार विभाग ने आयुक्त को पत्र लिख कर सूचित किया कि अोरमांझी अंचल के दड़दाग माैजा में पांच एकड़ कृषि विभाग के लिए अर्जित भूमि उर्दू यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए हस्तांतरण के प्रस्ताव पर सरकार द्वारा असहमति जतायी गयी है.
इसके बाद राजस्व व भूमि सुधार विभाग के तत्कालीन उप सचिव आरआर मिश्र ने ज्ञापांक-2828/3.9.2013 के माध्यम से रांची उपायुक्त को यूनिवर्सिटी के लिए नगड़ी प्रखंड में जमीन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. इसके बाद अपर समाहर्ता ने पत्रांक 2302/18.9.2013 के माध्यम से नगड़ी सीओ को जमीन चिह्नित कर भेजने का निर्देश दिया.
औपचारिकताएं पूरी करने के बाद प्रस्ताव भेजा गया. नगड़ी अंचल की पांच एकड़ गैरमजरूआ खास जमीन माैलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी की स्थापना को लेकर 30 वर्षों के लिए सशुल्क लीज बंदोबस्ती का प्रस्ताव दिया गया. छात्र संघ अध्यक्ष एस अली ने उपायुक्त से मिल कर बताया कि यह नेशनल यूनिवर्सिटी है. इसके लिए नि:शुल्क भूमि उपलब्ध करायी जानी चाहिए. तत्कालीन प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने इस मामले को झारखंड विधानसभा में उठाया था. लेकिन जमीन देने का यह मामला आज भी लंबित है.
Posted By : Sameer Oraon