नीति आयोग की बैठक में झारखंड सरकार ने रखी ये बड़ी मांग, डीवीसी के इस हरकत पर भी जतायी आपत्ति

झारखंड सरकार ने नीति आयोग की बैठक में कहा कि उनका कोल इंडिया की कंपनियों पर आठ हजार करोड़ है, जिसमें उन्होंने मांग रखी है कि ये भुगतान जल्द से जल्द हो. नीति आयोग ने इस इस मामले पर राज्य सरकार से डीपीआर की मांग की है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 9, 2021 8:44 AM

Jharkhand News, Ranchi News रांची : राज्य सरकार ने कोल इंडिया की कंपनियों पर आठ हजार करोड़ रुपये बकाया देने की मांग की है. सरकार ने कहा है कि इस राशि का भुगतान कोल इंडिया करे. नीति आयोग के साथ हुई अधिकारियों की बैठक में स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना में 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार से झारखंड सरकार ने मांगी है. इसमें 200 करोड़ रुपये ग्रांट की मांग भी रखी गयी है. नीति आयोग द्वारा इस मामले में राज्य सरकार से डीपीआर की मांग की गयी है. कहा गया है कि राज्य सरकार डीपीआर भेजेगी, तो नीति आयोग उसे अपरेजल करके केंद्र को भेज देगा. तब राशि मिल सकती है.

डीवीसी के लिए की जा रही कटौती पर आपत्ति जतायी :

बैठक में राज्य सरकार ने दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) के लिए राज्य सरकार की राशि से की जा रही कटौती पर आपत्ति जतायी. सरकार ने कहा कि डीवीसी के लिए राज्य को मिलने वाली राशि में कटौती गलत है. डीवीसी राज्य की संपत्ति का इस्तेमाल कर रहा है. इसके एवज में झारखंड को उचित राशि नहीं मिल रही है. डीवीसी राज्य का खनिज अनुदानित मूल्य पर प्राप्त करता है.

लेकिन, झारखंड को बाजार दर पर बिजली उपलब्ध कराता है. साथ ही बकाया भुगतान के लिए अनावश्यक दबाव भी बनाता है. राज्य सरकार ने नीति आयोग से डीवीसी को बिक्री मूल्य या सेल प्राइज पर रॉयल्टी दिलाने का आग्रह किया. मामले पर नीति आयोग ने उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया. राज्य सरकार द्वारा विभिन्न पीएसयू पर बिजली के बकाये के भुगतान की मांग भी रखी गयी. नीति आयोग द्वारा इसमें शीघ्र कार्रवाई की बात कही गयी है. राज्य सरकार की ओर से 90 हजार करोड़ के आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज में भी बिजली कंपनियों के लिए पैकेज की मांग रखी गयी. सरकार ने कहा है कि दिसंबर माह में किसी प्रकार की राशि की कटौती न की जाये.

बिजली कटौती पर राज्य सरकार प्लान बनाकर दे :

डीवीसी द्वारा की जा रही बिजली कटौती का मामला भी बैठक में उठा. नीति आयोग द्वारा कहा गया कि राज्य सरकार डीवीसी को भुगतान के लिए प्लान बनाकर भेजे, ताकि उसके अनुरूप भुगतान हो. बिजली कटौती का मामला तब नहीं होगा.

कोल कंपनियों पर बकाया है रॉयल्टी : झारखंड के अधिकारियों ने कहा कि भारत सरकार के कोल इंडिया के उपक्रम व अन्य कोल कंपनियों पर रॉयल्टी का बकाया है. साथ ही सरकारी जमीन के मुआवजे का भी भुगतान किया जाये. खनन परियोजनाओं का आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण कराया जाये. सरकार द्वारा कहा गया कि कोल इंडिया की कंपनियों द्वारा 53064 एकड़ भूमि का इस्तेमाल किया जा रहा है, पर आज तक इसका मुआवजा नहीं दिया गया है. कोल इंडिया की कंपनियों पर आठ हजार करोड़ रुपये का बकाया है.

इस राशि का भुगतान कोल इंडिया करे. इस पर नीति आयोग द्वारा कहा गया कि राज्य सरकार और कोल इंडिया के अधिकारियों की संयुक्त टीम भूमि का सर्वे कर रही है. सर्वे काम पूरा होने पर अंतिम रूप से राशि का निर्धारण कर राज्य को भुगतान किया जा सकता है. राज्य सरकार द्वारा सीसीएल और बीसीसीएल पर कोल वाशरी के 2200 करोड़ रुपये बकाये की मांग भी रखी गयी.

राज्य सरकार ने एचइसी, रेल, यूसिल और एमइएस पर 126.47 करोड़ रुपये बकाये की बात कहकर भुगतान कराने की मांग की. बैठक में नीति आयोग के अध्यक्ष अमिताभ कांत, झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह समेत केंद्र सरकार के कोयला, बिजली व जल शक्ति मंत्रालय के सचिव भी उपस्थित थे. झारखंड से विभिन्न विभागों के सचिव भी उपस्थित थे.

Posted By : Sameer Oraon

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