Loading election data...

Jharkhand News : रांची में महंगी होती स्कूल फीस से परेशान मिडिल क्लास के लोग, इन फैसिलिटी के नाम पर वसूल रहे हैं लाखों रूपये

शहर के बड़े प्राइवेट स्कूलों में पैसों का खेल एडमिशन फॉर्म के साथ ही शुरू हो जाता है. मिसाल के तौर पर, इन दिनों प्ले ग्रुप में एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है. इसके लिए फॉर्म के नाम पर अभिभावकों से 500 से 2000 रुपये लिये गये. इसके बाद एडमिशन के लिए 60 हजार रुपये तक लिये जा रहे हैं. इसमें बच्चों की किताबें, ड्रेस, मासिक फीस, बस भाड़ा आदि भी जोड़ दिया जाये, तो प्ले ग्रुप की पढ़ाई का सालाना खर्च एक से सवा लाख रुपये पहुंच जायेगा.

By Prabhat Khabar News Desk | April 3, 2021 9:23 AM

Jharkhand News, Ranchi News, School Fees In Ranchi रांची : राजधानी रांची के बड़े और नामचीन प्राइवेट स्कूल अपनी छवि के हिसाब से फीस वसूलते हैं. इन स्कूलों में प्ले ग्रुप (खेल-खेल में पढ़ाई) समेत अन्य जूनियर कक्षाओं में बच्चों की पढ़ाई पर सालाना 1.25 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं. वहीं, सीनियर क्लास के बच्चों पर पढ़ाई का सालाना खर्च 1.5 लाख तक पहुंच जाता है. इस लिहाज से मध्यवर्गीय परिवारों के लिए अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना लोहे के चने चाबने जैसे हो गया है.

शहर के बड़े प्राइवेट स्कूलों में पैसों का खेल एडमिशन फॉर्म के साथ ही शुरू हो जाता है. मिसाल के तौर पर, इन दिनों प्ले ग्रुप में एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है. इसके लिए फॉर्म के नाम पर अभिभावकों से 500 से 2000 रुपये लिये गये. इसके बाद एडमिशन के लिए 60 हजार रुपये तक लिये जा रहे हैं. इसमें बच्चों की किताबें, ड्रेस, मासिक फीस, बस भाड़ा आदि भी जोड़ दिया जाये, तो प्ले ग्रुप की पढ़ाई का सालाना खर्च एक से सवा लाख रुपये पहुंच जायेगा.

कोरोना के कारण साल भर से बंद हैं स्कूल, लेकिन फीस पूरी ली गयी: कोरोना संक्रमण की वजह से राज्य के स्कूल 17 मार्च 2020 से ही बंद हैं. फिलहाल, यह तय नहीं है कि नर्सरी से सातवीं तक के बच्चों के लिए स्कूल कब खुलेंगे.

इसके बावजूद स्कूलों में अगले शैक्षणिक सत्र में नामांकन की फीस, शिक्षण शुल्क और वार्षिक फीस समेत सभी प्रकार के शुल्क लिये जा रहे हैं. इससे पहले स्कूल बंद रहने के बावजूद स्कूलों ने सभी प्रकार के शुल्क वसूल किये हैं. कई स्कूलों में तो योगा और जूडो क्लास की फीस देने का दबाव भी अभिभावकों पर बनाया जा रहा है. जबकि, सरकार ने स्कूलों से सिर्फ ट्यूशन फीस लेने को कहा है.

जानकारी नहीं देनेवालों पर नहीं हुई कार्रवाई

उपायुक्त की ओर से पूर्व में स्कूलों को निर्देश दिया गया था कि प्राइवेट स्कूल द्वारा ली जा रही वार्षिक फीस का औचित्य बतायें. इसके लिए जिला शिक्षा अधीक्षक की अध्यक्षता में कमेटी भी गठित की गयी थी. स्कूलों को कमेटी के समक्ष शुल्क बढ़ोतरी व वार्षिक फीस समेत लिये जानेवाले अन्य शुल्कों का औचित्य बताने को कहा गया था. कुछ प्राइवेट स्कूलों ने तो रिपोर्ट जमा की, लेकिन जिन स्कूलों ने रिपोर्ट जमा नहीं की उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिला अधीक्षक ने जमा रिपोर्ट की भी कोई समीक्षा नहीं की.

नहीं बताते हैं स्कूल कि किस मद में कितनी राशि ले रहे

प्राइवेट स्कूल अभिभावकों को यह भी नहीं बताते हैं कि कितनी राशि किस मद में ली जा रही है. उन्हें सिर्फ बैंक में राशि जमा करने को कहा जाता है. स्कूलों द्वारा यह राशि वार्षिक शुल्क, डेवलपमेंट फंड, स्मार्ट क्लास, एक्टिविटी फीस, असाइनमेंट फीस, मेडिकल आदि के नाम पर ली जाती है. यह फीस प्रति माह ली जानेवाली ट्यूशन फीस के अतिरिक्त है. ट्यूशन फीस में कंप्यूटर, एक्टिविटी व स्मार्ट क्लास फीस को स्कूल नहीं जोड़ते हैं. वहीं, राजधानी के प्राइवेट स्कूलों द्वारा कॉशन मनी के नाम पर दो हजार से 11 हजार रुपये तक लिये जाते हैं. यह राशि बच्चों के 10वीं पास करने के बाद अभिभावकों को लौटायी जाती है. रांची में महंगी स्कूल फीस होने तथा Hindi News से अपडेट के लिए बने रहें हमारे साथ.

Posted By : Sameer Oraon

Next Article

Exit mobile version