अलकायदा से संबंध के नहीं मिले सबूत, माैलाना को मिली जमानत
माैलाना को मिली जमानत
रांची : आतंकी संगठन अलकायदा की गतिविधियों में संलिप्तता को लेकर गैरकानूनी गतिविधि निषेध अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपी बनाये गये माैलाना कलीमुद्दीन मुजाहिरी को हाइकोर्ट से जमानत मिल गयी है. हाइकोर्ट के जस्टिस कैलाश प्रसाद देव की अदालत ने कलीमुद्दीन की अोर से दायर जमानत याचिका को सुनवाई के बाद स्वीकार कर लिया.
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अलकायदा की गतिविधियों में प्रार्थी की संलिप्तता को साबित करने के लिए या इसको दिये गये धन के संबंध में अनुसंधानकर्ता ने कोई सामग्री एकत्र नहीं की है. प्रार्थी एक माैलाना है. उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. पुलिस को कोई ऐसा तथ्य नहीं मिला है, जो प्रार्थी को अलकायदा से जोड़ता हो.
प्रार्थी की दलील सुनने के बाद याचिका स्वीकार कर अदालत ने शर्तों के साथ जमानत की सुविधा प्रदान की. 25-25 हजार के दो मुचलके के अलावा एक सरकारी अफसर व पैरवीकार जमानतदार होंगे. जमशेदपुर की अदालत के आदेश पर ही बाहर जा सकेंगे आदि शर्तों पर अदालत ने जमानत देने का आदेश दिया.
प्रार्थी के अधिवक्ता ने पुलिस के आरोपों को गलत बताया : प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता एके दास ने अदालत को बताया कि उनके खिलाफ पूर्व में कोई केस दर्ज नहीं है. आपराधिक इतिहास भी नहीं रहा है. सरकार की अनुमति से सभी शर्तों को पूरा करते हुए हज के लिए तीन बार सऊदी अरब गये हैं. यह केस स्थानीय पुलिस ने दर्ज की है. एनआइए ने नहीं दर्ज की थी, जो आतंकी गतिविधियों का अनुसंधान करती है. पुलिस का आरोप सही नहीं है. यह भी कहा कि प्रार्थी का मामला पूरी तरह से अन्य सह आरोपियों से अलग है.
यह है आरोप
माैलाना कलीमुद्दीन मुजाहिरी सितंबर 2019 से जेल में हैं. आरोप है कि वे अपने घर पर अहमद मसूद अकरम व अब्दुल रहमान (जिन पर पहले से कई केस दर्ज है) से मिलते-जुलते थे. आतंकी गतिविधियों में उपयोग के लिए गुजरात से राशि प्राप्त हुई थी, जिसका उपयोग आतंकी गतिविधियों में किया गया. उक्त आरोप लगाते हुए पुलिस ने यूएपीए के तहत जमशेदपुर के बिष्टुपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें कलीमुद्दीन को भी आरोपी बनाया गया था.
posted by : sameer oraon