रांची के इस इलाके में लोगों को पीने का पानी नसीब नहीं, रात भर जागने को हैं मजबूर
रांची के धुरवा स्थित जगन्नाथपुर में लोग सालों से पानी की किल्लत झेल रहे हैं. हैरान करने वाली बात है कि यह राजधानी का कोई आम इलाका नहीं है, बल्कि इसी क्षेत्र में झारखंड विधानसभा भवन, झारखंड हाईकोर्ट, झारखंड सचिवालय और प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ का मंदिर भी है.
रांची, राज कुमार. रथ यात्रा की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, कुछ ही दिन बचे हैं जब भगवान जगन्नाथ, भैया बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विश्राम करने के लिए मौसीबाड़ी आएंगे. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. रांची के धुरवा स्थित जगन्नाथपुर में भी यह परंपरा निभाई जाती है. जहां बड़ा मेला लगता है. यह राजधानी रांची का वह इलाका है जहां एक तरफ, झारखंड विधानसभा भवन है, तो दूसरी तरफ झारखंड हाईकोर्ट, वहीं झारखंड का सचिवालय भी है और वहीं भगवान जगन्नाथ का मंदिर भी है. इसके बावजूद इस क्षेत्र में रह रहे लोग पानी की किल्लत झेल रहे हैं. आलम यह है कि लोगों को पीने के पानी के लिए रतजगा करना पड़ रहा है.
रात 2 बजे से पानी के लिए लगते हैं लाइन
हालांकि, सरकार लोगों को पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. इसके लिए हर घर नल जल योजना भी चलाई जा रही है. लेकिन रांची के इस इलाके में लोगों को अभी भी पीने का पानी नसीब नहीं हो पाता है. जगन्नाथपुर मौसीबाड़ी के सामने गोलचक्कर के बगल में खाली जगह पर स्टैंड पोस्ट लगे हैं, जहां लोग रोज रात दो बजे से पानी के लिए लाइन लगाना शुरू करते है. इस लाइन में ना सिर्फ पुरुष रहते हैं, बल्कि काफी संख्या में महिलाएं भी अपने-अपने घरों से बर्तन लेकर पहुंचती हैं. जैसे-जैसे पानी खुलने का समय आता है, वैसे-वैसे यहां लोगों की भीड़ बढ़ती चली जाती है.
3 बजे खुलता है नल, एक घंटे बाद हो जाता है बंंद
रात के 3 बजे यहां सप्लाई वाटर का नल खुलता है और 4 बजे बंद हो जाता है. जिसे जितना पानी मिल पाता है उतने में ही गुजारा करना पड़ता है. कई लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें बिना पानी लिए घर लौटना पड़ता है. यहां पानी की किल्लत इस कदर है कि समय से पानी मिल जाए, इसके लिए कई लोग नंबर लगाकर अपने घर चले जाते हैं और वहां रहनेवाले लोगों के मोबाइल में संपर्क बनाकर रखते है ताकि जैसे ही पानी आए, वे उन्हें बता दें.
पानी मिलता है तो रतजगा होता है सफल
स्टैंड पोस्ट में लगे नल से लोग हवा आने का इंतजार करते रहते है. स्थानीय लोगों ने कहा कि हवा आने का मतलब होता है कि अब नल में पानी आनेवाला है और लोग पानी भरने के लिये सर्तक होने लगते है. जैसे ही पानी आता है, उनकी खुशी देखते बनती है. जिस दिन उन्हें पानी मिल गया उस दिन उनका रात जागना सफल हो जाता है.
सालों से है समस्या
स्थानीय लोगों ने प्रभात खबर से कहा कि मौसीबाड़ी में एक बड़ी आबादी रहती है, उनके पास पीने के पानी के लिये कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. पानी की किल्लत के कारण वे रतजगा करने के लिये मजबूर हैं. उनका कहना है कि यह समस्या एक दिन की नहीं है, बल्कि वर्षों पुरानी है. उन्होंने यह भी बताया कि इस इलाके में कुछ चापानल दूर में है जो खराब पड़े हुए है. लोगों ने अपील की है कि अगर क्षेत्र में डीप बोरिंग कर टंकी लगा दी जाए और एक दो चापानल लगा दिया जाता तो काफी राहत मिल जाती.
आप भी बताएं अपनी समस्या
आपके इलाके में भी अगर ऐसी कोई समस्या है, तो हमें सूचना दें. आप हमें ई-मेल कर सकते हैं. हमारा ई-मेल आईडी pkdigitaleditorial@gmail.com है. हम आपकी समस्याओं को सरकार तक पहुंचाएंगे.
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