JPSC: भाषा सूची में हिंदी को शामिल करने के लिए किया जा सकता है पुनर्विचार, इस बात पर HC ने जतायी नाराजगी

Jharkhand News, Ranchi: जेएसएससी स्नातक स्तरीय परीक्षा संचालन नियमावली-2021 में हिंदी भाषा को जोड़ने पर पुनर्विचार कर सकती है राज्य सरकार. सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने मामले में सुनवाई के दाैरान यह जानकारी हाइकोर्ट को दी.

By Prabhat Khabar News Desk | May 12, 2022 9:40 AM

Jharkhand News, Ranchi: राज्य सरकार जेएसएससी स्नातक स्तरीय परीक्षा संचालन नियमावली-2021 में हिंदी भाषा को जोड़ने पर पुनर्विचार कर सकती है. राज्य सरकार की अोर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने मामले में सुनवाई के दाैरान यह जानकारी हाइकोर्ट को दी. इस दाैरान श्री रोहतगी ने 10वीं व 12वीं की परीक्षा झारखंड के शिक्षण संस्थानों से पास करने की शर्त को जायज ठहराने का प्रयास किया.

उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस नियमावली को बनाने के पीछे की मंशा व आधार के बारे में राज्य के अधिकारियों से जानकारी प्राप्त कर अवगत करायेंगे. इसके लिए उन्होंने समय देने का आग्रह किया. जेएसएससी स्नातक स्तरीय परीक्षा संचालन संशोधन नियमावली-2021 को चुनौती देनेवाली याचिका पर झारखंड हाइकोर्ट बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई कर रही थी. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने राज्य सरकार को लिखित रूप में बातें रखने को कहा.

सरकार को कैसे पता चला कि हिंदी को हटाना चाहिए: खंडपीठ ने मौखिक रूप से सरकार के अधिवक्ता श्री रोहतगी से पूछा कि नियमावली से हिंदी भाषा को हटाने का क्या आधार है. क्या ऐसा कोई सर्वे या स्टडी किया गया है, जिससे यह पता लग सके कि झारखंड में हिंदी बोलनेवालों की संख्या कम हो गयी है तथा क्षेत्रीय भाषा बोलनेवालों की संख्या अधिक हो गयी है. सरकार को कैसे पता चला कि हिंदी को हटा देना चाहिए. सरकार यह कैसे कह सकती है कि हिंदी भाषी लोग यहां नहीं हैं.

नियमावली में स्थानीय रीति-रिवाज, भाषा व परिवेश की जानकारी होना अनिवार्य बनाया गया है, तो यह कैसी जानकारी होनी चाहिए. यहां बहुत सारे ट्राइबल हैं. उनका कस्टम भी अलग-अलग है. वैसी स्थिति में आप कैसे बोलेंगे कि किस कस्टम की जानकारी होनी चाहिए. प्रार्थी रमेश हांसदा, विकास कुमार चाैबे, अभिषेक कुमार दुबे, रश्मि कुमारी की ओर से अलग-अलग याचिका दायर की गयी है. प्रार्थियों ने नियमावली को चुनौती दी है.

Posted by: Pritish Sahay

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