रांची : कोरोना महामारी से प्रभावित लोगों और उनके परिवारों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अब शोध किया जायेगा. शोध कार्य के दायरे में झारखंड सहित पश्चिम बंगाल, असम व मणिपुर राज्य होंगे. आइसीएमआर ने सीआइपी को इसकी मुख्य जिम्मेवारी सौंपी है. इसमें रिम्स, सीसीएल व जिला प्रशासन भी सहयोग करेंगे. शोध कार्य का दायरा बढ़ाने के लिए पूर्वी क्षेत्र के कुछ अस्पतालों और उस क्षेत्र से जुड़े लोगों से भी जानकारी ली जायेगी. पश्चिम बंगाल, असम में तेजपुर व मणिपुर मेडिकल कॉलेज में बनाये गये सेंटर सीआइपी को जानकारी इकट्ठा कर रिपोर्ट सौंपेगे.
झारखंड में शोध कार्य के लिए पांच मनोचिकित्सकों और दो तकनीशियनों को रखा गया है. वहीं, शोध कार्य में रिम्स और सीसीएल के वैसे चिकित्सक भी शामिल होंगे, जिन्होंने कोरोना काल में मरीजों की चिकित्सा की है. आइसीएमआर ने सीआइपी को शोध कर छह माह में विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है.
ए मल्टीसेनेट्रिक स्टडी इन इस्टर्न एंड नॉर्थ इस्टर्न इंडिया विषय पर शोध करने के लिए कहा है. टीम द्वारा हर जगह आठ से एक हजार लोगों का सैंपल के रूप में सर्वे किया जायेगा. रांची में डोर टू डोर सर्वे के लिए सीआइपी प्रशासन ने जिला प्रशासन को पत्र लिख कर अनुमति देने और कोरोना से संबंधित डाटा उपलब्ध कराने का आग्रह किया है.
आइसीएमआर के निर्देश के आलोक में शोध कार्य सीआइपी के निदेशक डॉ वासुदेव दास के नेतृत्व में होगा. इस टीम में सीआइपी के डॉ वरुण मेहता, रिम्स के डॉ अजय बाखला और डॉ ब्रजेश मिश्र तथा सीसीएल के डॉ एसडी सत्पथी शामिल हैं, जबकि दो टेक्निकल टेक्नीशियन भी होंगे.
सीआइपी प्रशासन ने टेक्निकल असिस्टेंट के पद पर अस्थायी नियुक्ति के लिए अधिकतम 30 वर्ष के योग्य उम्मीदवारों का चयन करने के लिए 13 दिसंबर 2021 को वॉक-इन इंटरव्यू का आयोजन किया है. चयनित व्यक्ति को 31 हजार रुपये प्रति माह बतौर मानदेय दिये जायेंगे. पहले तीन माह के संतोषप्रद कार्य के बाद अगले तीन माह का विस्तार दिया जायेगा. आइसीएमआर ने शोध कार्य के लिए चार सेंटर सीआइपी, पश्चिम बंगाल, असम व मणिपुर को आठ-आठ लाख रुपये की स्वीकृति दी है.
Posted By : Sameer Oraon