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Jharkhand news : 28 लाख की नौकरी छोड़ शुरू किया स्टार्टअप

अमेरिकन बैंक में सलाना 28 लाख रुपये कमानेवाली वन्या ने खुद का स्टार्टअप शुरू करने के लिए नौकरी छोड़ दी.

रांची : आइआइएम लखनऊ से एमबीए की डिग्री हासिल कर अमेरिकन बैंक में सलाना 28 लाख रुपये कमानेवाली वन्या ने खुद का स्टार्टअप शुरू करने के लिए नौकरी छोड़ दी. कांके की रहनेवाली डीएवी गांधीनगर से 12वीं कॉमर्स की टॉपर व सीए की परीक्षा में रांची में तीसरा स्थान प्राप्त करनेवाली वन्या चाटर्ड एकाउंटेंट भी रह चुकी हैं. वन्या प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ से प्रेरित हैं और रोजगार देने वाला बनने के इरादे से ही नौकरी छोड़ कर इको फ्रेंडली सैनेटरी पैड्स ‘इलारिया’ का स्टार्टअप शुरू किया है.

वन्या कहती हैं : सैनेटरी पैड्स तो कई कंपनियां बना रही हैं, जिनमें ज्यादातर विदेशी हैं. उनमें प्लास्टिक का उपयोग होता है और प्लास्टिक के कवर में ही पैक कर ये पैड्स बिकते हैं. महिलाओं को तकलीफ के ‘उन दिनों’ में आसानी और निश्चिंतता महसूस हो, इसके लिए उसने ऑर्गेनिक तरीके से पैदा किये गये कपास से बने सैनेटरी पैड्स लांच किये हैं. इसमें किसी रसायन या प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया है. 110 से 330 रुपये तक 10 पीस के पैकेट को कवर करने के लिए प्लास्टिक की जगह कागज के लिफाफे और आकर्षक पेपर बोर्ड में पैकिंग का इस्तेमाल किया जाता है. इसका डिस्पोजल बैग भी प्लास्टिक के बजाय बायोडिग्रेडेबल है.

दो साल तक मल्टीनेशनल बैंक में किया काम :

वन्या ने बताया कि उन्होंने मल्टीनेशनल बैंक में ऊंची पगार पर बेंगलुरु और मुंबई में लगभग दो वर्षों तक काम किया. लेकिन मन में हमेशा यह भावना कुरेदती रहती थी कि मल्टीनेशनल कंपनी और महानगरों की भीड़ में खोने के बजाय अपने शहर में कुछ इनोवेटिव काम किया जाये. आमदनी भले ही कम हो या शुरुआत में नहीं हो, लेकिन कुछ नया, कुछ अभिनव करने का संतोष हो. तीन माह पूर्व उन्होंने इलारिया इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी रजिस्टर करायी. अपने इस स्टार्टअप से खुश होकर वन्या ने कहा कि झारखंड के अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल से अॉनलाइन आर्डर भी मिलने लगे हैं.

ऑर्गेनिक तरीके से पैदा किये गये कपास से बनता है सैनेटरी पैड

जब शराब खुले में बिकती है, तो सैनेटरी पैड काले पॉलिथीन में या अखबार में रैप कर क्यों खरीदी जाये? पीरियड्स कोई सामाजिक धब्बा नहीं है, बल्कि दुनिया के अस्तित्व का आधार है. कोई भी ऑर्गेनिक, इको फ्रेंडली, बायोडिग्रेडेबल उत्पाद महंगा मालूम पड़ सकता है, लेकिन हम जब धरती माता के स्वास्थ्य और पर्यावरण को हो रहे नुकसान की भरपाई की लागत देखेंगे तो ऐसे उत्पाद सस्ते ही लगेंगे.

-वन्या, प्रमुख, इलारिया इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड

posted by : sameer oraon

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