Jharkhand News, रांची : प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तर की फेलोशिप के लिए झारखंड की शालिनी साबू का चयन का चयन हुआ है. वह रांची विश्वविद्यालय में इंस्टिट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज में सहायक प्राध्यापिका के पद पर कार्यरत है. वे “प्रथागत क़ानून और भूमि का उतराधिकार- झारखंड की मुंडा, उरांव, हो तथा संथाल महिलाओं के सन्दर्भ में एक वैधानिक दृष्टिकोण” विषय पर शोध करेंगी.
किस वजह से मांगा जाता है आवेदन
बता दें कि पूर्व में नेहरु मेमोरियल और म्यूजियम लाइब्रेरी फेलोशिप के नाम से प्रसिद्ध, यह संग्रहालय प्रति वर्ष शोध को बढ़ावा देने के लिए देश भर के स्कॉलर्स से आवेदन आमंत्रित करती है. अहर्ताओं को पूरा करने पर एक रिसर्च प्रपोजल लिखने को कहा जाता है. जिसकी जांच विशेषज्ञों की कमेटी द्वारा की जाती है. इसके बाद चुनिंदा प्रविष्टियों की शॉर्टलिस्टिंग कर साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया जाता है. इसमें सफल होने पर ही अंतिम रूप से चयन होता है.
कितने स्कॉलर्स ने किया था आवेदन
इस वर्ष विभिन्न विषयों के करीब तीन हजार स्कॉलर्स ने देश भर से आवेदन किया था, जिसमें अंतिम रूप से सात लोगों का चयन किया गया. सफल स्कॉलर्स में शालिनी झारखंड से एकमात्र स्कॉलर हैं जिनका चयन बतौर ‘जूनियर फेलो’ के लिए हुआ. झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय से कानून विभाग में पी.एच.डी की डिग्री हासिल कर चुकी डॉ शालिनी साबू ने पहले भी झारखंड की मुंडा महिलाओं के भूमि के अधिकार विषय पर शोध किया है. इनके शोध पत्र सेज, लाइव लॉ, बार एंड बेंच, सोशल एक्शन जैसे कई नामी पब्लिकेशंस और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रकाशित हो चुके हैं.
शालिनी का क्या है उद्देश्य
दो वर्षों के लिए चयनित इस फेलोशिप के दौरान शालिनी प्रदेश की आदिवासी महिलाओं की जमीन संबंधित मालिकाना हक पर विधिक दृष्टिकोण से काम करेंगी. उनका उद्देश्य सर्वोच्च न्यायालय, झारखंड उच्च न्यायालय, ज्यूडिशियल एकेडमी और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज को प्रथागत कानून में निर्णय करते समय एक दिशा प्रदान करना है. दो सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित फेलोशिप साक्षात्कार की समिति में पद्म विभूषण डॉ स्वपन दासगुप्ता, जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ विनय सहस्त्रबुद्धे और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी नृपेंद्र मिश्रा शामिल थे.