Jharkhand News : सब-इंस्पेक्टर सीमित प्रतियोगिता परीक्षा-2017 के अभ्यार्थियों को झटका, हाईकोर्ट ने कहा- परीक्षा को पूरी तरह रद्द नहीं कर सकते

झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) के जवाब को देखते हुए एकलपीठ के आदेश को सही ठहराया. सजेएसएससी की अोर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने खंडपीठ को बताया कि फाइनल मॉडल उत्तर विषय विशेषज्ञों ने तैयार किया था. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि एक सवाल था कि सीआरपीसी की धारा-144 (निषेधाज्ञा) अधिकतम कितने समय तक लगायी जा सकती है.

By Prabhat Khabar News Desk | March 25, 2021 12:05 PM

Jharkhand News, Ranchi News, jharkhand si recruitment 2017 latest news रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने सब-इंस्पेक्टर सीमित प्रतियोगिता परीक्षा-2017 के फाइनल मॉडल उत्तर को चुनौती देनेवाली अपील याचिकाओं पर सुनवाई के बाद एकलपीठ के आदेश को बरकरार रखा. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद अपील याचिका खारिज कर दी.

झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) के जवाब को देखते हुए एकलपीठ के आदेश को सही ठहराया. सजेएसएससी की अोर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने खंडपीठ को बताया कि फाइनल मॉडल उत्तर विषय विशेषज्ञों ने तैयार किया था. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि एक सवाल था कि सीआरपीसी की धारा-144 (निषेधाज्ञा) अधिकतम कितने समय तक लगायी जा सकती है.

प्रश्न के मॉडल उत्तर में अधिकतम छह माह दिया गया था, जबकि प्रार्थियों का कहना था कि निषेधाज्ञा अधिकतम दो माह तक रह सकता है. इसी तरह एक सवाल था कि दामोदर नदी में काैन सा अधिकतर मिट्टी मिलता है. आयोग का जवाब था: दामोदर नदी में लाल मिट्टी मिलती है, प्रार्थियों का कहना था कि रेतीली मिट्टी मिलती है.

मॉडल उत्तर पर प्रार्थियों व जेएसएससी के बीच मतभेद था. श्री पिपरवाल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि यदि मॉडल उत्तर गलत भी है, तो यह सभी अभ्यर्थी के लिये है. इस आधार पर पूरी परीक्षा रद्द नहीं की जा सकती है. इससे पहले प्रार्थियों की अोर से खंडपीठ को बताया गया कि पेपर-दो व पेपर-तीन में दो-दो प्रश्नों का मॉडल उत्तर गलत दिया गया है.

आयोग के गलत उत्तर के कारण उनका रिजल्ट प्रभावित हुआ. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सचित कुमार सिंह, नरेंद्र सिंह, राजकिशोर तिवारी, थानेश्वर रविदास, मंजय कुमार, विजयेंद्र कुमार शाह ने अपील याचिका दायर की थी. उन्होंने वर्ष 2018 में एकल पीठ द्वारा पारित आदेश को चुनाैती दी थी.

Posted By : Sameer Oraon

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