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सिंगापुर की कंपनी करेगी ‘झारखंड मेगा फूड पार्क’ का संचालन, 20 करोड़ में हासिल की 100 करोड़ की परिसंपत्ति

रांची के गेतलसूद डैम के समीप बंद पड़े ‘झारखंड मेगा फूड पार्क’ के शुरू होने की उम्मीदें बढ़ गयी हैं. द नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल(एनसीएलटी) ने 10 फरवरी 2022 को कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया के तहत इंडियन ओशियन ग्रुप पीटीइ लिमिटेड के समाधान योजना को मंजूरी दे दी है.

सुनील चौधरी

Ranchi News Update : रांची के गेतलसूद डैम के समीप बंद पड़े ‘झारखंड मेगा फूड पार्क’ के शुरू होने की उम्मीदें बढ़ गयी हैं. द नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल(एनसीएलटी) ने 10 फरवरी 2022 को कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया के तहत इंडियन ओशियन ग्रुप पीटीइ लिमिटेड के समाधान योजना को मंजूरी दे दी है. कुछ प्रक्रियाओं के बाद कंपनी इस पूरे परिसर का अधिग्रहण कर लेगी. यह कंपनी सिंगापुर की है और फूड प्रोसेसिंग का भी कारोबार करती है. हाल ही में कंपनी के अधिकारियों ने जियाडा से संपर्क कर पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी. साथ ही जियाडा से सहयोग की अपेक्षा की है. मिली जानकारी के अनुसार, दिवालिया समाधान की प्रक्रिया के तहत इंडियन ओशियन ग्रुप ने 20 करोड़ का ऑफर दिया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है. इसके पूर्व इलाहाबाद बैंक ने झारखंड मेगा फूड पार्क का मूल्यांकन कराया था, जिसमें परिसंपत्ति का मूल्य 100 करोड़ रुपये आंका गया था.

रियाडा ने दी 56 एकड़ जमीन

वर्ष 2009 में तत्कालीन केंद्र की यूपीए सरकार ने रांची में गेतलसूद डैम के समीप मेगा फूड पार्क की योजना को स्वीकृति दी थी. रियाडा ने 56 एकड़ जमीन दी. पार्क निर्माण के लिए उद्योग विभाग ने ‘झारखंड मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड’ के नाम से एसपीवी बनवा दिया था, निदेशक नितिन शिनोई थे. कंपनी ने इलाहाबाद बैंक की हरमू शाखा से 33.95 करोड़ का लोन लिया, जबकि, खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने करीब 43 करोड़ रुपये का अनुदान दिया था. फरवरी 2009 में तत्कालीन केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री सुबोधकांत सहाय, बाबा रामदेव और तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने इसका शिलान्यास किया. वहीं, 15 फरवरी 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास, केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल, साध्वी निरंजन ज्योति और पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण ने इसका उद्घाटन किया.

नितिन शिनोई के निधन के बाद नियंत्रण से बाहर हो गया प्रबंधन

वर्ष 2017 में झारखंड मेगा फूड पार्क के निदेशक नितिन शिनोई का दुबई में निधन हो गया. उसके बाद से ही पूरा प्रबंधन फेल हो गया और इसे आगे चलाने में नियंत्रण नहीं रहा. इधर, बैंक के लोन पर ब्याज बढ़ता रहा. 26 फरवरी 2018 से इस प्रोजेक्ट पर बैंक के 39 करोड़ 21 लाख 83 हजार 559 रुपये बकाया हो गये. इसके बाद इलाहाबाद बैंक ने सरफेसी एक्ट के तहत इस एसपीवी को अपने कब्जे में ले लिया. इस दौरान केंद्र सरकार से भी बात की गयी, लेकिन कोई हल नहीं निकला. केंद्र सरकार ने मेगा फूड पार्क को ही रद्द कर दिया. झारखंड मेगा फूड पार्क के बैंकरप्ट होने के बाद पहले तो इलाहाबाद बैंक ने इसे अपने कब्जे में लिया. फिर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल(एनसीएलटी) के कब्जे में यह चला गया.

दिवालिया समाधान की प्रक्रिया के तहत मात्र एक कंपनी आगे आयी

‘झारखंड मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड’ के नाम से संचालित एसपीवी को दिवालिया घोषित करते हुए कॉरपोरेट इनसोल्वेसी रेजोल्यूशन प्रोसेस(दिवालिया समाधान की प्रक्रिया) शुरू की गयी. झारखंड मेगा फूड पार्क के बोर्ड अॉफ डायरेक्टर्स के सारे अधिकार जब्त कर लिये गये. एनसीएलटी द्वारा कोलकाता के नीरज अग्रवाल को इंटरिम रेजोल्यूशन प्रोफेशनल नियुक्त किया जा चुका था. इसके बाद दिवालिया समाधान के लिए नोटिस जारी किया गया. इसमें एकमात्र कंपनी इंडियन ओशियन ग्रुप पीटीइ लिमिटेड ने ही समाधान की योजना पेश की.

ये सुविधाएं हैं मेगा फूड पार्क में

– 21 बड़े खाद्य प्रसंस्करण और 12 छोटे खाद्य प्रसंस्करण की यूनिट लगाने के लिए प्लॉट तैयार है.

– एक 10 एमवीए क्षमता के 33/11 केवी का पावर सब स्टेशन बना हुआ है, जो फिलहाल बंद है.

– फूड पार्क के अंदर की सड़क अब टूट रही है. दो वेयर हाउस व वर्कर हॉस्टल खंडहर हो चुके हैं.

– इसमें एयर कंडीशनर लगा हुआ है. इसके अलावा एक फूड टेस्टिंग लैब भी बना हुआ है.

– 10 ट्रक और दो फ्रीजर वैन भी गोदाम में पड़े हुए हैं. कई मशीनें और लोडर भी बेकार पड़े हैं.

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