Jharkhand news, Ranchi News रांची : झारखंड की सरकारी नौकरियों में आबादी के अनुपात में एसटी/एससी कर्मियों की संख्या कम है, इसलिए प्रोन्नति में एसटी-एससी को आरक्षण देने की वर्तमान नीति को जारी रखने की अनुशंसा राज्य सरकार से की गयी है. झारखंड में सरकार की सेवाओं और पदों के अधीन प्रोन्नति, प्रशासनिक दक्षता और क्रीमी लेयर में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व पर अध्ययन करने को लेकर पूर्व में तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति गठित की गयी थी. समिति ने अपनी रिपोर्ट बुधवार को सीएम हेमंत सोरेन को सौंपी. समिति मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की अध्यक्षता में गठित की गयी थी.
विधानसभा की भी बनी थी कमेटी, प्रोन्नति की थी अनुशंसा : एससी-एसटी के प्रमोशन में आरक्षण के मामले में विधानसभा की कमेटी भी बनी थी. झामुमो विधायक दीपक बिरुवा इसके संयोजक थे. बंधु तिर्की, सरफराज अहमद सहित अन्य विधायक सदस्य थे. इस कमेटी ने भी एससी-एसटी के साथ प्रमोशन में भेदभाव किये जाने की बात कही थी. इसके बाद सरकार ने इस कमेटी की रिपोर्ट और अन्य अध्ययन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनायी. उल्लेखनीय है कि 2007 से एससी-एसटी के प्रमोशन का मामला लंबित चल रहा था. इसमें इनकी वरीयता उल्लंघन हो रहा था.
कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 34 विभागों में से 29 विभागों ने कर्मचारियों की जाति, श्रेणीवार संख्या सहित सीधी नियुक्ति या प्रोन्नति के आधार पर भरे गये पदों की कुल संख्या पर अपनी रिपोर्ट ऑफलाइन प्रस्तुत की है. 10 विभागों ने सेवाओं में हर जाति वर्ग में कार्यरत कर्मचारियों की सेवा श्रेणीवार संख्या सहित रिपोर्ट प्रस्तुत की है. एचआरएमएस से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 34 में से 31 प्रमुख विभागों में राज्य में कुल स्वीकृत पदों की कुल संख्या 3,01,1 98 है. इसमें से 57182 पद प्रोन्नति के आधार पर भरे जाने हैं, जबकि 2,44,016 पद सीधी नियुक्ति से भरे जाने हैं. समिति ने विभागों में प्रोन्नति के संबंध में एक कार्यप्रणाली तैयार करने का निर्णय लिया है.
– प्रमोशन में आरक्षण के वर्तमान प्रावधान में किसी भी प्रकार की ढील देना या किसी भी खंड को हटाना न्यायोचित या वांछनीय नहीं होगा और बड़े पैमाने पर सामुदायिक हितों के विरुद्ध होगा.
– झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी), झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) और कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग को भी वर्षवार तथा श्रेणीवार विवरण के साथ परिणामों के डेटाबेस को बनाये रखने की आवश्यकता है कि कितने एससी, एसटी व ओबीसी ने अनारक्षित श्रेणी के अंतर्गत योग्यता प्राप्त की है.
– सभी विभागों द्वारा आरक्षण नीति और उसके प्रावधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए अधिक कठोर और निरंतर निगरानी रखने के लिए कार्मिक विभाग के अंतर्गत पृथक कोषांग बनाया जाना चाहिए.
– कार्मिक विभाग को भर्तियों, प्रोन्नतियों और अन्य संबंधित सूचनाओं पर वार्षिक प्रतिवेदन अवश्य प्रकाशित करना चाहिए .
कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि सरकार में हर स्तर पर प्रोन्नतिवाले पदों पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व की कमी है. प्रोन्नति के आधार पर पद धारण करनेवाले कार्यरत कर्मचारियों की कुल संख्या में एससी-एसटी का क्रमश: 4.45 और 10.04 प्रतिशत है, जो राज्य में क्रमशः 12.08 प्रतिशत (एससी) और 26.20 प्रतिशत ( एसटी) के जनसांख्यिकीय अनुपात से बहुत कम है. कमेटी ने कहा कि चूंकि, राज्य की सेवाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व अपेक्षित स्तर से काफी नीचे है, इसलिए प्रोन्नति में आरक्षण की वर्तमान नीति को जारी रखना आवश्यक है.
Posted By : Sameer Oraon