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झारखंड बनने के बाद पहली बार होगा राज्य खाद्य निगम का ऑडिट, जानें इसका आगे क्या पड़ेगा प्रभाव और क्या फायदा

बताया गया कि निगम की आय-व्यय से लेकर अन्य सारे कार्यों का अब तक ऑडिट नहीं हुआ है. ऐसे में इसकी ऑडिट रिपोर्ट भी नहीं है. इंटरनल ऑडिट होने के बाद महालेखाकार से भी इसका ऑडिट कराने का आग्रह किया जायेगा. जानकारी के मुताबिक, राज्य खाद्य निगम के 10 जिलों में जिला खाद्य निगम के कार्यालय हैं. इन कार्यालयों का संचालन जिला प्रबंधक के माध्यम से हो रहा है. 10 जिलों साहिबगंज, धनबाद, रांची, हजारीबाग, गिरिडीह, दुमका, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम और पलामू में कार्यालय का संचालन हो रहा है. इन कार्यालयों से शेष जिलों का काम-काज हो रहा है.

रांची : झारखंड राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम लिमिटेड का राज्य बनने के बाद पहली बार ऑडिट होगा. इंटरनल ऑडिट के लिए निगम ने ऑडिट एजेंसियों से आवेदन मांगा है. इच्छुक एजेंसियों के आवेदन के आधार पर उनका चयन होगा, फिर उन्हें ऑडिट की जिम्मेवारी दी जायेगी. ऑडिट केवल मुख्यालय का ही नहीं, बल्कि जिलों में स्थित कार्यालयों का भी कराया जायेगा.

बताया गया कि निगम की आय-व्यय से लेकर अन्य सारे कार्यों का अब तक ऑडिट नहीं हुआ है. ऐसे में इसकी ऑडिट रिपोर्ट भी नहीं है. इंटरनल ऑडिट होने के बाद महालेखाकार से भी इसका ऑडिट कराने का आग्रह किया जायेगा. जानकारी के मुताबिक, राज्य खाद्य निगम के 10 जिलों में जिला खाद्य निगम के कार्यालय हैं. इन कार्यालयों का संचालन जिला प्रबंधक के माध्यम से हो रहा है. 10 जिलों साहिबगंज, धनबाद, रांची, हजारीबाग, गिरिडीह, दुमका, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम और पलामू में कार्यालय का संचालन हो रहा है. इन कार्यालयों से शेष जिलों का काम-काज हो रहा है.

ऑडिट रिपोर्ट तैयार होने से मिलेगा लाभ :

खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ऑडिट हो जाने से निगम के खर्च और आय की पूरी ऑडिट रिपोर्ट तैयार हो जायेगी. इसका लाभ भी मिलेगा. इससे आय-व्यय को छिपाया नहीं जा सकेगा.

नाबार्ड आदि से लोन लेना भी आसान होगा, क्योंकि लोन लेने के लिए तीन साल की ऑडिट रिपोर्ट आवश्यक होती है. अधिकारियों ने बताया कि निगम से संबंधित सारे भुगतान आदि के कार्य चेक के माध्यम से होते हैं, लेकिन इसकी ऑडिट फाइल तैयार होनी चाहिए. फिलहाल निगम के पास धान खरीद निगम का सबसे अहम काम है. वहीं राज्य भर में अनाज की ढुलाई भी निगम के माध्यम से ही प्रखंडों तक के लिए होती है. इन सारे कार्यों का ऑडिट अनिवार्य है, जो अब तक नहीं हो रहा था.

Posted By : Sameer Oraon

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