Jharkhand News : रांची विश्वविद्यालय के पीजी विभाग में नौ स्थानीय भाषा की पढ़ाई के लिए सिर्फ दो शिक्षक, प्लस टू में पद ही नहीं, जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा का कैसे होगा विकास

Jharkhand News, Ranchi News, रांची न्यूज (दिवाकर) : रांची विश्वविद्यालय और इसके अंतर्गत आनेवाले 14 कॉलेजों में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा के विकास को लेकर लगातार विमर्श होता रहा है, लेकिन बिना शिक्षकों के इन भाषाओं का विकास कैसे होगा, यह सबसे बड़ा सवाल है. विवि के पीजी विभाग में संचालित नौ भाषाओं के विभाग में केवल दो स्थायी शिक्षक हैं, जबकि 14 कॉलेजों में मात्र 30 स्थायी शिक्षक. केसीबी कॉलेज, बेड़ो में कुडुख और नागपुरी की पढ़ाई होती है, लेकिन यहां इसके स्थायी शिक्षक नहीं हैं. विवि के पीजी विभाग में संचालित नौ भाषाओं में केवल कुडुख और नागपुरी के ही स्थायी शिक्षक हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | February 21, 2021 11:52 AM

Jharkhand News, Ranchi News, रांची न्यूज (दिवाकर) : रांची विश्वविद्यालय और इसके अंतर्गत आनेवाले 14 कॉलेजों में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा के विकास को लेकर लगातार विमर्श होता रहा है, लेकिन बिना शिक्षकों के इन भाषाओं का विकास कैसे होगा, यह सबसे बड़ा सवाल है. विवि के पीजी विभाग में संचालित नौ भाषाओं के विभाग में केवल दो स्थायी शिक्षक हैं, जबकि 14 कॉलेजों में मात्र 30 स्थायी शिक्षक. केसीबी कॉलेज, बेड़ो में कुडुख और नागपुरी की पढ़ाई होती है, लेकिन यहां इसके स्थायी शिक्षक नहीं हैं. विवि के पीजी विभाग में संचालित नौ भाषाओं में केवल कुडुख और नागपुरी के ही स्थायी शिक्षक हैं.

रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत आनेवाले 14 कॉलेजों में अलग-अलग भाषा की पढ़ाई होती है. केवल रांची वीमेंस कॉलेज ही एक ऐसा कॉलेज है, जहां सभी नौ जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई होती है. इसमें खोरठा, कुडुख, कुरमाली, नागपुरी, संताली, मुंडारी, पंच परगनिया, हो और खड़िया शामिल हैं. यहां भी नौ में से केवल चार भाषाओं के ही स्थायी शिक्षिक हैं, जिनमें नागपुरी, कुरमाली, खोरठा और खड़िया शामिल हैं. डोरंडा कॉलेज में मुंडारी और खड़िया, रामलखन सिंह यादव कॉलेज में कुडुख, खोरठा, कुरमाली, मुंडारी, जेएन कॉलेज में कुडुख और मुंडारी, पीपीके कॉलेज बुंडू में कुरमाली और मुंडारी, बीएन जालान कॉलेज सिसई में कुडुख, एसएस मेमोरियल कॉलेज में कुरमाली और सिमडेगा कॉलेज में नागपुरी, मुंडारी और कुडुख की पढ़ाई होती है, लेकिन इन विषयों के एक भी स्थायी शिक्षक नहीं हैं.

Also Read: Jharkhand News : नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में सरना आदिवासी धर्म कोड, वृद्धा पेंशन और मनरेगा मजदूरी पर क्या बोले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

नयी शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में देने पर जोर दिया गया है. राज्य सरकार ने भी इसकी तैयारी शुरू कर दी है. पांच जनजातीय भाषाओं में प्राथमिक कक्षाओं के लिए पुस्तकों की छपाई भी शुरू की गयी है. संताली में कक्षा पांच तक की किताब छप गयी है, जबकि हो, खड़िया,मुंडारी व कुड़ुख में कक्षा एक व दो की किताब की छपाई हुई है. लेकिन सवाल यह है कि इन विषयों के जब शिक्षक ही नहीं हैं, तो पढ़ायेगा कौन.

Also Read: Jharkhand News : रिम्स ब्लड बैंक ने नहीं दिया खून, रिम्स में भर्ती सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित गुमला के बच्चे की हो गयी मौत, मजदूर पिता ने पूछा-कौन लेगा मौत की जिम्मेदारी

राज्य के प्लस टू विद्यालयों में बिना शिक्षक के ही जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई होती है. राज्य के एक भी प्लस टू विद्यालय में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों के पद सृजित नहीं हैं. प्रोजेक्ट हाइस्कूल में भी शिक्षकों के पद सृजित नहीं हैं. राज्य में 59 प्लस टू उच्च विद्यालय एकीकृत बिहार के समय के हैं, जबकि 451 विद्यालय राज्य गठन के बाद प्लस-टू में अपग्रेड किये गये हैं. स्कूलों में हो, मुंडारी, संताली, उरांव, पंचपरगनिया, नागपुरी, कुरमाली व खोरठा की पढ़ाई होती है़. परीक्षार्थी प्रति वर्ष इन विषयों से इंटर की परीक्षा में शामिल होते हैं. मैट्रिक में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा में प्रति वर्ष लगभग 20 हजार व इंटर में लगभग 25 हजार परीक्षार्थी शामिल होते हैं. सबसे अधिक विद्यार्थी संताली भाषा से परीक्षा में शामिल होते हैं.

Posted By : Guru Swarup Mishra

Next Article

Exit mobile version