Ayushman Bharat Yojana Jharkhand रांची : आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लाभुक, सरकारी या निजी अस्पताल में जो दवाइयां उपलब्ध नहीं होंगी, उन्हें निजी मेडिकल स्टोर से मुफ्त में खरीद सकेंगे. झारखंड के हर जिले में ड्रग इंस्पेक्टर के माध्यम से दवा दुकानों के साथ इसका समझौता किया जायेगा. यह जानकारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के सीइओ डॉ. आरएस शर्मा ने दी. वह बुधवार को सदर अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना कार्यक्रम का जायजा ले रहे थे. इसके पहले उन्होंने आयुष्मान की राशि से तैयार इंफ्रास्ट्रक्चर का निरीक्षण किया. मरीजों से बात करने के साथ ही इलाज की व्यवस्था को समझा.
डॉ आरएस शर्मा ने कहा कि नयी जिम्मेदारी मिलने पर उन्होंने इस कार्यक्रम को सफलता से लागू करनेवाले राज्य के तौर पर झारखंड को चुना है. एनएचए बेहतर सेवा देनेवाले अस्पतालों को प्रोत्साहित कर रहा है और बड़े-छोटे अस्पतालों को इस कार्यक्रम से जोड़ रहे हैं. हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि इलाज की दर वास्तविक हो, जिससे कि ज्यादा से ज्यादा स्तरीय अस्पताल इस योजना से जुड़ सकें.
रांची के सदर अस्पताल में जायजा लेने पहुंचे राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीइओ डॉ आरएस शर्मा. इस दौरान उन्होंने यहां बच्चों के लिए बने विशेष वार्ड का भी निरीक्षण किया. मौके पर प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह व अन्य मौजूद थे.
सरकार की योजना है कि इलाज के बाद कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनमें बाद में भी दवाई लेने की जरूरत पड़ती है. इसके लिए आयुष्मान योजना में प्राइवेट मेडिकल स्टोर को भी शामिल किया जा रहा है. जो दवाएं उपलब्ध नहीं होगी उनको निजी मेडिकल स्टोर से मरीजों को ई-चालान जारी कर उपलब्ध कराया जायेगा. ई-रुपे कार्ड के साथ अटैच कर वाउचर कैटेगरी कोड जारी होने के बाद इसका ऑडिट किया जायेगा.
झारखंड से आयुष्मान योजना 2018 में शुरू होने के बाद से अभी तक तक रांची में करीब 28 हजार लोगों का इलाज पूरा हुआ है. रांची ने मरीजों के इलाज में जो सुविधाएं दी हैं, उस मॉडल को देशभर में लागू किया जायेगा. वहीं, सबसे ज्यादा क्लेम लेकर सुविधाएं देने में पंजाब और उपकरणों व जांच की व्यवस्था देने में तमिलनाडु तथा केरल जैसे राज्यों की व्यवस्था को झारखंड के अंदर शामिल करने की योजना है.
आयुष्मान भारत योजना के तहत अब पांच साल तक के बच्चाें को उनके अभिभावक के नाम पर भर्ती किया जायेगा. अभी एक साल तक के बच्चों को ही अभिभावक के नाम पर अस्पताल में भर्ती किया जाता है. पांच साल तक के बच्चों का आधार कार्ड और राशन कार्ड में नाम नहीं होने से अक्सर परेशानी होती है. अब बच्चों को अभिभावक के नाम पर भर्ती होने पर जन्म प्रमाण पत्र जमा करना होगा.
Posted By : Sameer Oraon