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Jharkhand News : दिन प्रतिदिन नीचे जा रहा पानी, 2002 से 2021 तक इतना फीट गया नीचे, रांची समेत ये जिले अत्यधिक जलदोहन क्षेत्र घोषित

प्रभावित जिलों में रांची, धनबाद, गुमला, लोहरदगा, पश्चिमी और पूर्वी सिंहभूम, चतरा, गिरिडीह, बोकारो, पलामू, गढ़वा, लातेहार, दुमका, जामताड़ा, देवघर, गोड्डा, साहेबगंज और पाकुड़ जिले शामिल हैं. झरिया, धनबाद, जमशेदपुर, गोड्डा, रामगढ़ और राजधानी रांची का कांके इलाका अत्यधिक जलदोहन क्षेत्र घोषित किये गये हैं.

Jharkhand News, Ranchi News,water problems in jharkhand रांची : जल जीवन का आधार है, लेकिन इसकी अनदेखी के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं. स्थिति चिंताजनक है. झारखंड में भूमिगत जल का लगातार वर्षों तक अत्यधिक दोहन किया जाता रहा है, जिससे उसका स्तर हर वर्ष तेजी से नीचे जा रहा है. राज्य के 19 जिलों में भी 2002 की तुलना में 2021 में दो से छह मीटर तक जलस्तर नीचे चला गया है.

प्रभावित जिलों में रांची, धनबाद, गुमला, लोहरदगा, पश्चिमी और पूर्वी सिंहभूम, चतरा, गिरिडीह, बोकारो, पलामू, गढ़वा, लातेहार, दुमका, जामताड़ा, देवघर, गोड्डा, साहेबगंज और पाकुड़ जिले शामिल हैं. झरिया, धनबाद, जमशेदपुर, गोड्डा, रामगढ़ और राजधानी रांची का कांके इलाका अत्यधिक जलदोहन क्षेत्र घोषित किये गये हैं.

पिछले साल गरमी में सूख गये थे 90 फीसदी कुएं :

राज्य भूगर्भ जल निदेशालय के आंकड़ों के मुताबिक राज्य भर में 23,800 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पानी सरफेस वाटर (सतही जल) से आता है, वहीं 500 एमसीएम पानी भूमिगत जल स्तर से आता है. राज्य भर में औसतन 1100 मिमी से लेकर 1442 मिमी बारिश होती है.

मई 2020 के आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन वर्षों से अनियमित बारिश के कारण भूगर्भ जल का स्तर 4.35 मीटर से 4.50 मीटर तक कम हुआ है. 2019 में प्री मॉनसून के दौरान जल स्तर 4.35 मीटर कम हुआ था, यह पोस्ट मॉनसून के दौरान 4.50 मीटर हो गया. इस कारण पिछले साल गरमी में राज्य भर के 90 प्रतिशत कुएं सूख गये थे. डैमों का जलस्तर भी गिरा था.

रिचार्ज करने से ही बचेगा भूमिगत जल

भूमिगत जल का स्तर उठाने के लिए बारिश के पानी को बचाना जरूरी है. यही वजह है कि शहरों के साथ अब ग्रामीण इलाकों में भी नया निर्माण होने पर वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य कर दिया गया है. राज्य की भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार 80 प्रतिशत सरफेस वाटर और 74 फीसदी भूमिगत जल बह जा रहा है.

राज्य के विभिन्न जिलों में पानी की उपलब्धता के आधार पर उसका विकास काफी कम हो रहा है. केंद्र सरकार की संसदीय उपसमिति ने झारखंड में सिर्फ 32 फीसदी पानी के विकास से संबंधित रिपोर्ट दी है. भूगर्भ जल निदेशालय के अनुसार रिचार्ज से ही ग्राउंड वाटर का समुचित विकास संभव है.

गुजरे 20 साल में राज्य के 19 जिलों में दो से छह मीटर तक नीचे गया जलस्तर

झरिया, धनबाद, जमशेदपुर, गोड्डा, रामगढ़ व रांची का कांके अत्यधिक जलदोहन क्षेत्र बने

80फीसदी सरफेस वाटर और 74 फीसदी भूमिगत जल हो रहा है बर्बाद

समाधान :::::::::

भूगर्भ जल निदेशालय के अनुसार रिचार्ज से ही ग्राउंड वाटर का विकास संभव

ग्रामीण इलाकों में भी नया निर्माण होने पर वाटर हार्वेस्टिंग हो गया है अनिवार्य

भूमिगत जल का स्तर

जिला 2002 में 2020 में

रांची 6.86 13.71

खूंटी 6.89 9.39

गुमला 7.71 10.95

लोहरदगा 9.81 13.60

हजारीबाग 7.54 9.80

रामगढ़ 8.02 14.69

कोडरमा 6.12 9.40

चतरा 9.95 11.97

गिरिडीह 6.40 10.50

धनबाद 10.02 16.56

बोकारो 8.14 12.25

गढ़वा 7.66 10.41

पलामू 5.60 9.55

लातेहार 6.35 10.08

दुमका 7.05 7.80

जामताड़ा 6.50 7.70

देवघर 6.10 9.37

गोड्डा 6.65 8.85

साहेबगंज 3.85 5.50

राजमहल 5.85 7.35

पाकुड़ 6.70 8.90

पू सिंहभूम 9.32 15.97

प सिंहभूम 8.71 14.55

Posted By : Sameer Oraon

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