jharkhand news, ranchi news रांची : झारखंड और बिहार से हर साल 10 हजार से अधिक मजदूर 18 इसीआर (इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड) देशों में काम करने के लिए जाते हैं. इसमें तीन से चार हजार मजदूर ही निबंधित एजेंटों के जरिये भेजे जाते हैं. बाकी मजदूर (छह से सात हजार) या तो विजिट वीजा या फिर फर्जी वीजा पर काम करने के लिए भेजे जाते हैं. यह एक अनुमानित आंकड़ा है, जिसके आधार पर विदेश मंत्रालय के प्रोटेक्टर ऑफ इमिग्रेंट्स कार्यालय (पटना) फर्जी वीजा की जांच कर रही है.
कार्यालय की ओर से की गयी जांच में पिछले तीन माह (नवंबर 2020 से जनवरी 2021 तक) के दौरान 106 फर्जी वीजा मिले हैं. इसीआर देशों में अफगानिस्तान, बहरीन, इंडोनेशिया, इराक, कुवैत, मलयेशिया, ओमान, कतर, सूडान, यमन, लीबिया, सउदी अरब, थाइलैंड, यमन, यूनाइटेड अरब अमीरात समेत 18 देश शामिल हैं. जो लोग 10वीं पास नहीं होते हैं, उन्हें इसीआर श्रेणी का पासपोर्ट मिलता है.
इस श्रेणी के पासपोर्टधारकों को भारत से बाहर जाने के लिए इमिग्रेशन अफसर से क्लियरेंस लेना जरूरी होता है. इसलिए इस श्रेणी के पासपोर्ट पर स्पष्ट तौर पर ‘इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड’ लिखा होता है. जांच के दौरान पासपोर्ट धारकों को उनके अधिकारों और धोखाधड़ी के बारे में बताया जाता है, ताकि इन नागरिकों को काम के लालच में आकर अवैध गतिविधियों में शामिल होने से रोका जा सके.
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पटना स्थित इमिग्रेंट्स कार्यालय को पिछले तीन महीनों में 106 फर्जी वीजा मिले
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झारखंड-बिहार से हर साल 10 हजार से अधिक मजदूर भेजे जाते हैं विदेशों में
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इसमें तीन से चार हजार मजदूरों को ही निबंधित एजेंटों के जरिये भेजा जाता है
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18 इसीआर देशों में भेजे जानेवाले मजदूरों के साथ होती है धोखाधड़ी
देश के बाहर जाने से पहले पूरी जानकारी लें और कागजात की पूरी तरह जांच करा लें. इससे किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचा जा सकता है. जानकारी के लिए मोबाइल नंबर भी जारी किये गये हैं. झारखंड-बिहार से फर्जी वीजा पर मजदूरो को विदेश भेजने तथा News in Hindi से अपडेट के लिए बने रहें हमारे साथ.
ताविशी बहल पांडेय, प्रोटेक्टर ऑफ इमिग्रेंट्स ऑफिसर, बिहार-झारखंड
Posted By : Sameer Oraon