कैडर बंटवारे के बाद झारखंड आये कर्मियों को नयी नियुक्ति में नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ : हाइकोर्ट

साथ ही एकल पीठ के आदेशों को निरस्त कर दिया. चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बुधवार को उक्त फैसला सुनाया. पूर्व में 17 दिसंबर 2020 को अपील याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पक्ष रखा था, जबकि जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने पैरवी की थी.

By Prabhat Khabar News Desk | May 13, 2021 8:25 AM

Jharkhand News, Ranchi News रांची : एकीकृत बिहार के बंटवारे के बाद झारखंड कैडर में आवंटित बिहार के स्थायी निवासी कर्मियों को नयी नियुक्ति में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. इस बाबत एकल पीठ के आदेश को चुनौती देनेवाली राज्य सरकार और जेपीएससी की अपील याचिकाओं को झारखंड हाइकोर्ट ने स्वीकार कर लिया.

साथ ही एकल पीठ के आदेशों को निरस्त कर दिया. चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बुधवार को उक्त फैसला सुनाया. पूर्व में 17 दिसंबर 2020 को अपील याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पक्ष रखा था, जबकि जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने पैरवी की थी.

उनका कहना था कि बिहार के बंटवारे के बाद झारखंड कैडर आवंटित बिहार निवासी कर्मियों को झारखंड में प्रोन्नति में आरक्षण का लाभ मिलेगा, लेकिन नयी नियुक्ति में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. सीमित उप समाहर्ता प्रतियोगिता परीक्षा नयी नियुक्ति है. इसके लिए सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत तृतीय वर्ग के कर्मियों से आयोग ने आठ अक्तूबर 2010 को आवेदन मांगा था.

वर्ष 2017 में एकल पीठ ने दिया था आदेश :

वर्ष 2017 में एकल पीठ ने अलग-अलग मामलों में दायर रिट याचिकाओं को स्वीकार कर लिया था. प्रार्थी अखिलेश प्रसाद व अन्य के मामले में एकल पीठ ने प्रोन्नति के अलावा नयी नियुक्ति में भी आरक्षण का लाभ देने का आदेश दिया था. वहीं, मनोज कुमार एवं अन्य के मामले में राज्य सरकार को नियुक्ति करने का आदेश दिया था. इसके बाद राज्य सरकार और जेपीएससी की ओर से अलग-अलग अपील याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गयी थी.

यह था मामला :

वर्ष 2010 में जेपीएससी ने द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ उप समाहर्ता सीमित प्रतियोगिता परीक्षा के लिए आवेदन मांगा था. आरक्षण का लाभ लेने के लिए आयोग ने कहा था कि झारखंड के सक्षम अधिकारी से निर्गत आवासीय व जाति प्रमाण पत्र जमा करना होगा. अखिलेश प्रसाद के आवेदन में झारखंड के सक्षम अधिकारी से निर्गत आवासीय व जाति प्रमाण पत्र नहीं रहने के कारण आयोग ने उन्हें अनारक्षित कैटेगरी में डाल दिया.

कम अंक रहने के कारण उनका चयन नहीं किया गया. वहीं, मनोज कुमार ने झारखंड के सक्षम अधिकारी से निर्गत जाति प्रमाण पत्र दिया था, लेकिन आवासीय प्रमाण पत्र नहीं दिया था. इसलिए आयोग ने सरकार से उनकी नियुक्ति के लिए कंडीशनल अनुशंसा की थी. राज्य सरकार ने मनोज कुमार को नियुक्त नहीं किया. अखिलेश प्रसाद, मनोज कुमार व अन्य ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर आयोग व सरकार के फैसले को चुनौती दी थी. एकल पीठ ने याचिका को स्वीकार कर अखिलेश प्रसाद को आरक्षण का लाभ देने तथा मनोज कुमार व अन्य को नियुक्त करने का आदेश दिया था.

Posted By : Sameer Oraon

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