नियोजन नीति रद्द होने से झारखंड के आठ हजार शिक्षकों समेत अन्य नियुक्तियों का रास्ता हुआ साफ
झारखंड नियोजन नीति रद्द होने से साल 2016 के आधार आठ हजार से अधिक शिक्षक नियुक्त हो सकते हैं. जेएसएससी ने 17572 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किया है. जिनमें से नौ हजार की नियुक्ति हो चुकी है
रांची : झारखंड के हाइस्कूलों में वर्ष 2016 के विज्ञापन के आधार पर हुई परीक्षा में से आठ हजार से अधिक शिक्षक नियुक्त हो सकते हैं. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा राज्य के हाइस्कूल में 17572 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किया गया है. राज्य में अब तक नौ हजार शिक्षकों की नियुक्ति हुई है. आठ हजार से अधिक पद रिक्त हैं. नियुक्ति में अनुसूचित व गैर अनुसूचित जिला की बाध्यता समाप्त हो जायेगी.
अनुसूचित जिलों में कुल 8423 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवेदन लिये गये थे. इनमें से 3684 शिक्षकों की नियुक्ति की गयी थी. ये शिक्षक वर्तमान में विद्यालयों में पदस्थापित हैं. वहीं, गैर अनुसूचित जिलों में 9149 पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन लिया गया था. रिजल्ट प्रकाशन के बाद दोनों कोटि के जिलों को मिलाकर 8371 अभ्यर्थियों की नियुक्ति की अनुशंसा आयोग द्वारा की गयी थी, जिसमें वर्तमान में इसमें से आठ हजार शिक्षक कार्यरत हैं.
स्थानीयता या जन्म स्थान पर 100% आरक्षण नहीं दे सकते
आपको बता दें कि इससे पूर्व झारखंड हाइकोर्ट ने ही राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2016 में लागू की गयी नियोजन नीति को अवैध व असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया था. 13 अनुसूचित जिलों के हाइस्कूलों में हुई 3800 शिक्षकों की नियुक्तियों को भी निरस्त कर दिया था. इन जिलों में नये सिरे से विज्ञापन निकाल कर बहाली करने का आदेश दिया था.
वहीं गैर अनुसूचित 11 जिलों में हुई शिक्षकों की नियुक्तियों को सुरक्षित रखते हुए नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया था. हाइकोर्ट की लॉर्जर बेंच ने एकमत से उक्त फैसला सुनाया था. लॉर्जर बेंच ने कहा था कि केवल स्थानीयता या जन्मस्थान के आधार पर 100 % सीटें किसी भी नियोजन में आरक्षित नहीं की जा सकती हैं. किसी भी परिस्थिति में आरक्षण 50% से अधिक नहीं होना चाहिए. बेंच ने कहा था कि शिड्यूल पांच के तहत शत-प्रतिशत सीट आरक्षित करने का अधिकार न तो राज्यपाल के पास है और न ही राज्य सरकार के पास. वह अधिकार सिर्फ संसद को है.
नियोजन नीति मामले में कब-कब क्या हुआ
14.7.2016- राज्य सरकार ने नियोजन नीति 5938/14.7.2016 लागू की.
28.12.2016- संयुक्त स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक प्रतियोगिता परीक्षा का विज्ञापन (21/2016).
4.02.2017 – संयुक्त स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक प्रतियोगिता परीक्षा विज्ञापन 21/2016 (संशोधित).
07.03.2017- सोनी कुमारी ने हाइकोर्ट में हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति के विज्ञापन को चुनौती दी. बाद में संशोधित याचिका दायर कर सरकार की नियोजन नीति को दी गयी चुनौती.
14.12.2018- जस्टिस एस चंद्रशेखर की एकल पीठ ने मामले को खंडपीठ में भेजा.
03.01.2019- खंडपीठ ने कहा कि इस केस के अंतिम आदेश से सारी नियुक्तियां प्रभावित होंगी.
18.09.2019- सरकार की अधिसूचना 5938, दिनांक 14 जुलाई 2016 के क्रियान्वयन पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी गयी. लॉर्जर बेंच में भेजा गया.
21.09.2020- हाइकोर्ट की लार्जर बेंच ने राज्य सरकार की अधिसूचना को निरस्त कर दिया. शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की.
12.05.2022- सुप्रीम कोर्ट ने पक्ष सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा.