उपभोक्ता के हितों को लेकर झारखंड गंभीर नहीं, राज्य आयोग में अध्यक्ष का पद महीनों से रिक्त
राज्य आयोग में अध्यक्ष का पद महीनों से रिक्त
jharkhand news, ranchi news, consumer forum case status jharkhand रांची : उत्पाद व सेवाअों के नाम पर होनेवाली धोखाधड़ी व शोषण को रोकने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम लागू है. इसके बावजूद उपभोक्ता ठगे जाते हैं. उपभोक्ताअों के हितों की रक्षा के लिए झारखंड में राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग व जिला स्तर पर जिला उपभोक्ता फोरम बनाया गया है.
राज्य आयोग से लेकर जिला स्तर बने कई जिला उपभोक्ता फोरम में अध्यक्ष या सदस्यों का पद खाली पड़ा हुआ है. राज्य आयोग के अध्यक्ष जस्टिस तपेन सेन का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से ही दो सितंबर 2020 से रिक्त पड़ा है. अध्यक्ष पद पर अब तक किसी की नियुक्ति नहीं की गयी है.
वहीं आयोग में सदस्य (पुरुष) 30 सितंबर 2017 से नहीं हैं. वह पद रिक्त है. फिलहाल एकमात्र सदस्य (महिला) शबनम परवीन कार्यरत हैं. उनका भी कार्यकाल फरवरी 2020 तक है. कोरम के अभाव में आयोग में दायर सैकड़ों मामलों की सुनवाई बंद है. जानकारों का कहना है कि लंबे समय तक पद खाली रहने से उपभोक्ता हितों की अनदेखी हो रही है. इससे उपभोक्ताओं को न्याय मिलने में विलंब हो रहा है.
उधर, कई जिला उपभोक्ता फोरम में पदों के रिक्त रहने के कारण दर्ज मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है. फोरम में हजारों मामले लंबित हैं. उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने उपभोक्ताअों के साथ आये दिन होनेवाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए वर्ष 2019 में नया उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू किया था, जिसने 34 वर्ष पुराने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 का स्थान लिया.
एक करोड़ तक के मामले जिला फोरम में दर्ज होते हैं
नये कानून के अनुसार जिला उपभोक्ता फोरम में एक करोड़ रुपये तक की शिकायत दर्ज करवायी जा सकती है, जबकि राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में 10 करोड़ तक के मुआवजा के मामले दायर किये जा सकते हैं. राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में 10 करोड़ से अधिक के मामले में शिकायत दर्ज कराने का प्रावधान है.
posted by : sameer oraon