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झारखंड के ऑक्सीजन से बचेगी नेपाल में जान, भेजी गयी पहली खेप, यूपी समेत इन राज्यों की कर चुका है मदद

इसके लिए करीब 400 लोगों की टीम राज्य सरकार ने बनायी है. ऑक्सीजन टॉस्क फोर्स गठन किया गया है. इसका नेतृत्व आइएएस अधिकारी जितेंद्र सिंह कर रहे हैं. टीम के सदस्य ऑक्सीजन के निर्माण से लेकर आपूर्ति व अस्पतालों द्वारा हो रहे उपयोग पर भी नजर रख रहे हैं. इसके साथ ही टीम के सदस्य दूसरे राज्यों से मांगे जा रहे ऑक्सीजन की जरूरत को भी पूरा करने में लगे हुए हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | May 20, 2021 9:02 AM
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Jharkhand News, Jharkhand Oxygen Cylinder Supply In Nepal रांची : कोरोना की दूसरी लहर में झारखंड के ऑक्सीजन से देश के 10 राज्यों के बीमार लोगों की जान बचायी जा रही है. अब तो दूसरे देशों को भी झारखंड से मदद मिल रही है. 17 मई को ऑक्सीजन की पहली खेप (36 टन) नेपाल भेजी गयी. साथ ही झारखंड अपने राज्य की जरूरत के अलावा पड़ोसी देश नेपाल व कई अन्य राज्यों के लोगों की मदद कर रहा है. यहां से हर दिन रेल, सड़क या हवाई मार्ग से ऑक्सीजन भेजी जा रही है. झारखंड के लोगों को अॉक्सीजन की कमी नहीं हो, इस पर भी नजर रखी जा रही है.

इसके लिए करीब 400 लोगों की टीम राज्य सरकार ने बनायी है. अॉक्सीजन टॉस्क फोर्स गठन किया गया है. इसका नेतृत्व आइएएस अधिकारी जितेंद्र सिंह कर रहे हैं. टीम के सदस्य ऑक्सीजन के निर्माण से लेकर आपूर्ति व अस्पतालों द्वारा हो रहे उपयोग पर भी नजर रख रहे हैं. इसके साथ ही टीम के सदस्य दूसरे राज्यों से मांगे जा रहे ऑक्सीजन की जरूरत को भी पूरा करने में लगे हुए हैं.

800 से एक हजार टन ऑक्सीजन भेजी जा रही है दूसरे राज्यों में : फिलहाल झारखंड से हर दिन 800 से एक हजार टन अॉक्सीजन दूसरे राज्यों को भेजी जा रही है. वहीं झारखंड को 150-170 टन के बीच ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है. करीब 900 टन के आसपास ऑक्सीजन का उत्पाद झारखंड में हो रहा है. 17 मई को झारखंड ने 816 टन अॉक्सीजन दूसरे राज्यों को भेजी. 106 टन ऑक्सीजन झारखंड सरकार ने उपयोग किया.

करीब 773 टन ऑक्सीजन का उत्पादन झारखंड में हुआ. पूर्व के स्टॉक से 150 टन ऑक्सीजन की जरूरत पूरी की गयी. झारखंड के पास अभी 3504 टन ऑक्सीजन का स्टोर है. अभी झारखंड में 90 से 100 टन के बीच ऑक्सीजन की खपत प्रतिदिन हो रही है. झारखंड में छह कंपनियां ऑक्सीजन का निर्माण कर रही हैं. वहीं 23 कंपनियां इसकी रिफिलिंग का काम कर रही हैं.

Posted By : Sameer Oraon

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