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मशहूर पेंटर उज्ज्वल घोष के निधन पर झारखंड के चित्रकारों ने जताया गहरा शोक, सरकार से लगाई मदद की गुहार

उज्ज्वल जी ने कभी जॉब नहीं की. वे हमेशा एक फ्रीलांसर के तौर पर काम करते रहे इसलिए जब उनकी तबीयत बिगड़ी तो इलाज के समय आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा. सभी चित्रकार साथियों ने भी उनकी अपने स्तर से मदद भी की, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. सरकार से भी मदद की गुहाप लगाई गई थी.

By Jaya Bharti | July 4, 2023 2:42 PM

Jharkhand News: झारखंड के मशहूर चित्रकार उज्ज्वल घोष का हजारीबाग में निधन हो गया. उज्ज्वल घोष महज 46 वर्ष के थे. वे कई महीनों से बीमार चल रहे थे. हजारीबाग के मटवारी स्थित जागो गली निवास में उज्ज्वल घोष ने अंतिम सांस ली. चित्रकार उज्ज्वल के निधन होने से पेंटिंग सीखने वाले विद्यार्थियों को भारी क्षति हुई है. उज्ज्वल घोष ने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेंटिंग से अपनी पहचान बनाई. सोहराई एवं आदिवासी युक्त कैनवास कला में उन्हें महारत हासिल थी. उनके निधन से चित्रकारों में शोक की लहर है. झारखंड के कई चित्रकारों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है.

झारखंड रत्न से हुए हैं सम्मानित

चित्रकार विनोद रंजन ने कहा कि सुबह-सुबह उज्ज्वल घोष के निधन की खबर सुनकर गहरा दुख पहुंचा है. उन्होंने बताया कि उज्ज्वल घोष के साथ उन्होंने लंबी जर्नी की है. ट्राइबल आर्ट पर काफी सारे रिसर्च उन्होंने एक साथ किए हैं. इसके लिए दोनों हजारीबाग, चतरा, दुमका, बुंडु, खूंटी, जमशेदपुर आदि जगहों पर जाकर रिसर्च किया है. उज्ज्वल घोष झारखंड रत्न से सम्मानित भी हुए है. उन्होंने बताया कि उज्ज्वल घोष मशहूर आर्टिस्ट उपेंद्र महारथी के शिष्य थे. गुरु के नाम पर ही वे स्कूल का संचालन कर रहे थे. विनोद रंजन ने बताया कि आर्थिक तंगी के कारण उनकता इलाज ठीक से नहीं हो सका. चित्रकार साथियों से थोड़ी मदद मिली लेकिन वह पर्याप्त नहीं हो पाया. उज्ज्वल घोष की पत्नी ने झारखंड सरकार से भी मदद की गुहार लगाई थी, जो उन्हें मिल नहीं सका. विनोद रंजन ने कहा कि शायद सरकार की तरफ से मदद मिल भी जाती लेकिन उससे पहले उन्होंन दम तोड़ दिया.

‘जॉब नहीं करने के कारण हुई आर्थिक तंगी’

चित्रकार हरेन ठाकुर ने कहा उज्ज्वल जी झारखंड के लिए ना सिर्फ अच्छे कलाकार थे बल्कि कलाकार से काफी ज्यादा थे. वे एक इतिहासकार भी थे. उन्होंने ट्राइबल चित्रकारी पर काफी रिसर्च किया है. खोवर और सोहराई पेटिंग पर भी उन्होंने काफी काम किया. उनकी कमी कोई पूरा नहीं कर सकता, वह हमेशा कलाकारों के लिए खड़े रहते थे. हरेन ठाकुर ने बड़े ही दुख के साथ बताया कि उज्ज्वल जी ने कभी जॉब नहीं की. वे हमेशा एक फ्रीलांसर के तौर पर काम करते रहे इसलिए जब उनकी तबीयत बिगड़ी तो इलाज के समय आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा. सभी चित्रकार साथियों ने भी उनकी अपने स्तर से मदद भी की, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. हरेन ठाकुर ने कहा कि झारखंड के लिए इतना मायने रखने वाले लोगों की सरकार को मदद करनी चाहिए.

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