रांची : राज्य में 3800 से ज्यादा पंचायत भवनों का निर्माण तो हो गया, लेकिन इन भवनों के रख-रखाव की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं की गयी. पंचायत भवनों की साफ-सफाई या अन्य कार्यों के लिए पैसे नहीं हैं. मुखिया या तो खुद की व्यवस्था से पंचायत भवनों की साफ-सफाई करा रहे हैं या किसी प्रायोजन के लिए पंचायत भवन खुलने पर सफाई करा दी जाती है.
मुखियाओं के अनुसार इस बार 15वें वित्त आयोग के फंड में भी कंटीजेंसी फंड(आकस्मिक राशि) की व्यवस्था नहीं की गयी है. कंटीजेंसी फंड होने से इसका इस्तेमाल कई तरह के छोटे कार्यों में जरूरत के मुताबिक किया जा सकता है. अब जनप्रतिनिधि पंचायत भवनों के रख-रखाव में पैसे खर्च नहीं कर पा रहे हैं.
यहां तक कि राज्य मद से भी इस तरह की कंटीजेंसी फंड का प्रबंध नहीं किया गया. 14वें वित्त आयोग में पहले कंटीजेंसी फंड की व्यवस्था की गयी थी. इससे राशि का उपयोग पंचायत भवनों को दफ्तर की तरह संचालन लायक बना पाने में सहूलियत हो रही थी.
किसी तरह पंचायत भवनों का रख-रखाव कर रहे हैं, लेकिन इसका स्थायी हल हो. कंटीजेंसी फंड की व्यवस्था 15वें वित्त आयोग और राज्य मद से होनी चाहिए. अभी सरकार के कई कार्यक्रम चल रहे हैं. इस दौरान पंचायत भवनों का इस्तेमाल हो रहा है. किसी तरह भवनों को साफ-सुथरा कर काम चलाया जा रहा है.
विकास कुमार महतो, अध्यक्ष
झारखंड मुखिया संघ
मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने सारे अफसरों को निर्देश दिया है कि वे दो दिनों के अंदर शत-प्रतिशत सोशल ऑडिट को अपलोड कर दें. इसमें कितनी राशि की वसूली हुई है. उसकी भी स्थिति देने को कहा है. मनरेगा आयुक्त ने कहा है कि ऐसा नहीं करने पर प्रखंड विकास पदाधिकारियों और प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.
वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अधिकारियों को निर्देश दे रही थी. उन्होंने अधिकारियों से कहा वे नियमित रूप से क्षेत्रों का भ्रमण करें और एरिया ऑफिसर्स एप में इसे अपलोड करें. दो दिनों में जॉब कार्ड सत्यापन का कार्य भी करने को कहा. यह भी कहा कि अगले 15 दिनों में ऐसे सभी आंगनवाड़ी केंद्र भवन निर्माण को एमआइएस में पूर्ण दिखाया जाये, जिसके लिए 10 जनवरी को सामग्री मद में राशि उपलब्ध करायी जा रही है.
Posted By : Sameer Oraon