दलीय आधार पर चुनाव नहीं फिर भी राजनीतिक दलों ने की अपने को आंकने की पूरी तैयारी
झारखंड में भले ही पंचायत चुनाव नहीं हो रहे हैं लेकिन सभी दलों ने अपनी जमीनी ताकत आंकने की तैयारी कर ली है. राजनीतिक दल अप्रत्यक्ष रूप से अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है. सभी दलों के कार्यकर्ता ने कहा है कि योग्य व्यक्ति को चुनाव लड़ाने का प्रयास किया जाएगी
रांची: झारखंड में इस बार दलीय आधार पर चुनाव नहीं हो रहे हैं. इसके बावजूद प्रमुख राजनीतिक दल अप्रत्यक्ष रूप से अपनी सक्रिय भूमिका निभायेंगे. राजनीतिक दलों ने इस चुनाव में अपनी जमीनी ताकत आंकने की पूरी तैयारी कर ली है. चुनाव में भले राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्न, पोस्टर, बनैर का इस्तेमाल नहीं होगा, फिर भी वे ग्रास रूट पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. प्रमुख राजनीतिक दलों का कहना है कि प्रखंडों में राजनीतिक दल के कार्यकर्ता सक्रिय रहते हैं. इनमें सहमति बना कर योग्य व्यक्ति को चुनाव लड़ाने का प्रयास किया जायेगा.
कोशिश होगी प्रखंड में उम्मीदवार हो : झामुमो
झामुमो के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं हो रहा है. ऐसे में प्रयास किया जायेगा कि सहमति बना कर योग्य उम्मीदवार चुनाव में उतरें. यह चुनाव लोकल स्तर का होगा. ऐसे में पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता अपनी अहम भूमिका निभायेंगे.
समन्वय बनाने का होगा प्रयास : कांग्रेस
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि पार्टी पंचायत चुनाव को लेकर पूरी तरह से तैयार है. चुनाव दलीय आधार पर नहीं हो रहा है. ऐसे में कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया जायेगा, ताकि पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं की जीत सुनिश्चित हो सके.
पार्टी से जुड़े नेताओं का मिलेगा समर्थन : आजसू
आजसू पार्टी के केंद्रीय मुख्य प्रवक्ता देवशरण भगत ने कहा कि सरकार की ओर से बिना ट्रिपल टेस्ट के ही पंचायत चुनाव कराया जा रहा है. इसको लेकर पिछड़ों में आक्रोश है. चुनाव में पार्टी से जुड़े नेताओं को समर्थन दिया जायेगा, ताकि उनकी विजय सुनिश्चित हो.
हर चुनाव के लिए तैयार रहती है पार्टी : भाजपा
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद दीपक प्रकाश ने कहा कि भाजपा हर चुनाव के लिए तैयार रहती है. चाहे वह लोकसभा, विधानसभा, नगर निकाय या पंचायत चुनाव ही क्यों न हो. उन्होंने कहा कि अगर यह चुनाव दलीय आधार पर होता तो ज्यादा बेहतर होता. सत्ताधारी दल ने दलीय आधार पर चुनाव नहीं कराने का फैसला कर अपने को कमजोर साबित करने का काम किया है. इस चुनाव ज्यादा से ज्यादा राष्ट्रवादी शक्तियां चुनाव जीतें, जिनका क्षेत्र के विकास में अभिरुचि हो. पार्टी अपने समर्पित कार्यकर्ताओं के माध्यम से ग्रास रूट पर अपनी मजबूत पकड़ बनायेगी.
Posted By: Sameer Oraon