ओबीसी आरक्षण के बिना ही झारखंड में पंचायत चुनाव फिलहाल संभव, जानें सुप्रीम कोर्ट का क्या है आदेश

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ट्रिपल टेस्ट के आधार पर ही पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण का प्रावधान लागू करने का आदेश दिया है. लेकिन झारखंड में फिलहाल इसके बिना ही चुनाव संभव है

By Prabhat Khabar News Desk | February 10, 2022 6:36 AM

रांची : सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट के आधार पर ही पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण का प्रावधान लागू करने का आदेश दिया है. ट्रिपल टेस्ट को पूरा नहीं करने पर पंचायत चुनाव ओबीसी को आरक्षण दिये बिना ही कराना होगा. वहीं, किसी भी कीमत पर कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा. कोर्ट ने यह आदेश 19 जनवरी 2022 को राहुल रमेश वाघ बनाम महाराष्ट्र सरकार (एसएलपी 19756 /2021) के मामले की सुनवाई के बाद दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट की व्यवस्था को पूरे देश में लागू करने का आदेश दिया है. ट्रिपल टेस्ट के तहत कमीशन का गठन कर ओबीसी का इंपिरिकल डाटा इकट्ठा करना है और इसके आधार पर पंचायत चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने का प्रावधान लागू करना है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के आलोक में राज्य में ओबीसी आरक्षण के बिना ही पंचायत चुनाव होने की संभावना है.

राज्य सरकार को भी करना होगा पालन :

महाराष्ट्र सरकार द्वारा पंचायत चुनाव में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था. इस प्रावधान को मुंबई हाइकोर्ट (औरंगाबाद) में याचिका(11744/2021) दायर कर चुनौती दी गयी थी. हाइकोर्ट ने 22 अगस्त 2021 को अपना फैसला सुनाया था. इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गयी थी.

इसकी सुनवाई न्यायमूर्ति एएम खनविलकर,न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सीटी रवि कुमार की पीठ में हुई. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 19 जनवरी 2022 को अपना फैसला सुनाया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि विकास कृष्णा राव गोलवरकर बनाम महाराष्ट्र सरकार में पंचायत चुनाव में ओबीसी के आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट की व्यवस्था की जा चुकी है.

इसे देश के सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेश में पंचायत चुनाव में लागू करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के आलोक में केंद्र ने सभी राज्यों को इसका अनुपालन करने को कहा है. इस आदेश के आलोक में राज्य सरकार को भी ट्रिपल टेस्ट प्रणाली के तहत ओबीसी का आरक्षण तय करना होगा अन्यथा बिना ओबीसी आरक्षण के ही पंचायत चुनाव कराना होगा.

चुनाव नहीं हुआ, तो राज्य को हर वर्ष दो हजार करोड़ का नुकसान : पंचायत चुनाव में देर होने पर वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में त्रिस्तरीय पंचायत समितियों को मिलनेवाले अनुदान के बंद होने का खतरा है. इससे राज्य को करीब 2000 करोड़ रुपये सालाना की दर से नुकसान होगा. नियमानुसार वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में चुनी हुई पंचायत की चयनित इकाइयों को अनुदान मिलना है.

राज्य की त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में चुने हुए प्रतिनिधियों का कार्यकाल दिसंबर 2020 में खत्म हो चुका है. कोविड-19 में चुनाव कराना संभव नहीं होने से सरकार ने पुरानी व्यवस्था को छह-छह माह के लिए दो बार अवधि विस्तार दिया. इसके बाद इसे चुनाव होने तक के लिए बढ़ा दिया, जो अब भी जारी है.

दो बार ही हो सका है पंचायत चुनाव

रांची. राज्य में अब तक दो बार ही पंचायत चुनाव हो सका है. पहली बार दिसंबर 2010 में चुनाव हुआ था और दूसरी बार भी तय समय के मुताबिक दिसंबर 2015 में पंचायत चुनाव कराया गया. तीसरी बार भी दिसंबर 2020 में चुनाव होना था, लेकिन कोविड-19 के मद्देनजर चुनाव को टालना पड़ा.

ऐसे में पंचायत प्रतिनिधियों को छह महीने का एक्सटेंशन देकर कार्यकारी व्यवस्था के तहत गांवों की सरकार चलायी गयी. यह अवधि भी खत्म हो गयी और चुनाव नही कराया जा सका, तब फिर से पंचायती राज व्यवस्था को एक्सटेंशन देने की जरूरत हुई. इस बार पंचायत चुनाव होने तक की अवधि के लिए एक्सटेंशन दिया गया है. इसके तहत ही गांव में सरकार का संचालन हो रहा है.

Posted By : Sameer Oraon

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