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झारखंड में जल्द होगा पंचायत चुनाव लेकिन बिना ओबीसी आरक्षण के, सरकार ने किया स्पष्ट

मंत्री आलमगीर आलम ने सदन में कल स्पष्ट कर दिया कि पंचायत चुनाव नहीं टलेगा, फिलहाल चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के ही संपन्न कराना होगा. क्यों कि इसे लागू करने में थोड़ा वक्त लगेगा अगर चुनाव टलता है तो केंद्र सरकार राशि रोक देगी

रांची: भाजपा विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी ने बुधवार को सदन में ध्यानाकर्षण के तहत पंचायत चुनाव का मामला उठाया. उनका कहना था कि पंचायत चुनाव छह माह रोक कर ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराया जाये. इस पर ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम का कहना था कि राज्य सरकार पंचायत चुनाव को और रोकने के पक्ष में नहीं है.

अब अगर जल्द पंचायत चुनाव नहीं हुए, तो 15वें वित्त आयोग की राशि केंद्र सरकार रोक देगी. उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2020 में ही पंचायत का कार्यकाल खत्म हो गया था़ कोरोना की वजह से दूसरी बार चुनाव रोका गया़ वर्ष 2022 में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया है कि ट्रिपल टेस्ट के बाद ही आरक्षण दिया जा सकता है. मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव कराया गया था, जिसे बाद में कोर्ट ने खारिज कर दिया.

55 प्रतिशत पिछड़ों के मान-सम्मान की बात : चंद्रवंशी

भाजपा विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी का कहना था कि छह माह में क्या हो जायेगा़ कर्नाटक-महाराष्ट्र में चुनाव हुआ है़ 55 प्रतिशत पिछड़ों के मान-सम्मान की बात है़ पिछड़ों पर ध्यान दें, आप भी पिछड़े वर्ग से आते है़ं झामुमो विधायक दीपक बिरुआ का कहना था कि राज्य के 13 जिले शिड्यूल एरिया में आते है़ं यहां पेसा कानून के तहत आदिवासी पंचायत होनी चाहिए. सरकार इन इलाकों मेें सामान्य चुनाव नहीं करा सकती है. मंत्री आलमगीर ने कहा : पिछड़ों का दर्द अाज महसूस कर रहे है़ं बिहार में पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण था़ राज्य गठन के बाद उसे 14 प्रतिशत किसने किया़ हमें पिछड़ों की चिंता है़ 27 प्रतिशत आरक्षण देंगे.

क्या है ट्रिपल टेस्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पंचायती राज व्यवस्था के तहत पिछड़ी जातियों को आरक्षण देने के मामले में रमेश वाघ बनाम महाराष्ट्र सरकार के मामले में फैसला देते हुए इसे पूरे देश में लागू करने का आदेश दिया है़ न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि पंचायती राज व्यवस्था में पिछड़ों को आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया के तहत पिछड़ी जातियों की स्थिति का विश्लेषण कर उसका डाटा जमा करना होगा. इसके लिए आयोग का गठन करने का निर्देश है. इसी के आधार पर आरक्षण तय किया जा सकता है. ऐसा नहीं होने तक आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव कराये जा सकते हैं.

पहले क्या व्यवस्था थी

अब तक राज्य में पंचायत चुनाव को लेकर अनुसूचित क्षेत्र में 80 प्रतिशत तक और गैर अनुसूचित क्षेत्र में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. इसमें एसटी, एससी और पिछड़े वर्ग को आरक्षण मिलता रहा है. हर निर्वाचन क्षेत्र में संबंधित जातियों को उनकी आबादी के अनुरूप आरक्षण देने का प्रावधान है. नयी व्यवस्था के तहत पिछड़ा वर्ग को अारक्षण देने से पहले सरकार को आयोग के माध्यम से उनके सामाजिक, राजनीतिक स्थिति से संबंधित डाटा जमा करना होगा. उसी पर पिछड़ी जातियों को आरक्षण मिल सकेगा. यह डाटा जमा होने तक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सिर्फ एसटी-एससी को आरक्षण मिलेगा.

Posted By: Sameer Oraon

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