झारखंड में पंचायतों के लिए 23 साल पहले बनी थी नियमावली, लेकिन आज तक नहीं मिला अधिकार

संविधान की धारा-243 के प्रावधान के अनुसार 11वीं अनुसूची में सूचीबद्ध 29 विषयों का अधिकार पंचायतों को देना है.

By Manoj singh | July 13, 2024 8:37 AM
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मनोज सिंह, रांची : झारखंड सरकार ने पंचायतों को अधिकार देने के लिए वर्ष 2001 में नियमावली बनायी थी. तय किया गया था इस नियमावली के आलोक में राज्य के संबंधित विभाग अपने-अपने कार्यों का हस्तांतरण धीरे-धीरे पंचायती राज संस्थाओं को करेंगे. पंचायतों को मजबूत करेंगे. झारखंड पंचायती राज नियमावली को बने 23 साल हो गये, लेकिन आज तक अधिकार नहीं मिला. आज भी झारखंड के चुने हुए जनप्रतिनिधि सुविधा और अधिकार के लिए दौड़ लगा रहे हैं.

संविधान की धारा-243 के प्रावधान के अनुसार 11वीं अनुसूची में सूचीबद्ध 29 विषयों का अधिकार पंचायतों को देना है. अधिकार देने के लिए विभिन्न विभागों ने 2012 से लेकर 2014 तक अधिकार देने का संकल्प भी जारी कर दिया था. इसमें कई विभागों में पंचायतों को वित्तीय अधिकार भी दिया गया था. कई विभाग ने प्रशासनिक अधिकार देने का संकल्प भी जारी कर दिया था. शिक्षक, अभियंता को छुट्टी देने का अधिकार भी तय किया था. वित्तीय शक्ति देने की बात कही गयी थी. इसके बावजूद आज तक इनको अधिकार नहीं मिला है.

किस विभाग से क्या अधिकार मिलना है

शिक्षा विभाग

  • प्राथमिक विद्यालयों की प्रबंध समिति को हस्तांतरित कोष का सुपरविजन पंचायती राज संस्था द्वारा होना है.
  • पंचायती राज संस्थाएं’ झारखंड एवं भारत सरकार द्वारा जारी किये गये वित्तीय नियमों और निर्देशों का अनुशरण करेंगी.
  • अनटाइड फंड से बजट की पांच फीसदी राशि जिला परिषद को उपलब्ध करायी जायेगी.
  • प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की अनुपस्थिति का प्रमाणन, छुट्टी की मंजूरी और यात्रा का अनुमोदन पंचायत के मुखिया द्वारा किया जायेगा.
  • ग्राम पंचायतें अपने क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को लघु दंड देने की अनुशंसा जिला शिक्षा अधीक्षक से कर सकेंगी.

वन विभाग

  • वनों में उपजने वाले कई उत्पादों पर पंचायतों का अधिकार सुनिश्चित करना था.

स्वास्थ्य विभाग

  • हरेक प्रखंड में ब्लॉक हेल्थ मिशन का गठन करना था, इसमें पंचायतों की भागीदारी सुनिश्चित की जानी है.
  • पंचायतों के लिए डाटा बेस तैयार करने में पंचायतों के प्रतिनिधियों का सहयोग लेना.
  • प्रखंड और जिला परिषद के सदस्यों के साथ बैठक और सेमिनार कर जिला और प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य योजना तैयार करना.
  • अंतर पंचायत और विभागीय समन्वय समिति का गठन करना.
  • पंचायतों को फूड वेंडर को अनुमति देना (12 लाख से नीचे का कारोबार करने वालों को).
  • जिलास्तर पर होनेवाली नियुक्तियों में जिला परिषद सदस्य या उनके प्रतिनिधि को सदस्य बनाना.

खनन

  • बालू घाटों की बंदोबस्ती से प्राप्त आय का 80 फीसदी पंचायती राज संस्था को दिया जायेगा.
  • अनुसूचित क्षेत्र में खनन के हस्तांतरण के पूर्व ग्रामसभा का स्वतंत्र एवं पूर्व सहमति प्राप्त किया जायेगा.
  • खुली खान अनुमति दिये जाने के पूर्व संबंधित ग्राम सभा से अनुमति लेना होगा.

कृषि विभाग

  • बीज, कृषि उपादान, उर्वरक, खाद्यान्न अधिप्राप्ति एवं भंडारण तथा अन्य कृषि कार्यों के सफल कर्यान्वयन का अनुश्रवण एवं पर्यवेक्षण.
  • कृषि कार्यों के लिए लाभुकों का चयन.
  • किसानों को कृषि ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना एवं केसीसी वितरण.
  • जिला से लेकर पंचायत स्तर तक कार्यशाला का आयोजन.
  • कृषकों को फसल बीमा के लिए प्रेरित करना तथा उसका भुगतान सुनिश्चित कराना.
  • जनसेवकों की नियुक्ति, प्रशासनिक नियंत्रण, अंर्त प्रखंड स्थानांतरण, अवकाश देना व अनुशासनिक कार्रवाई करना

समाज कल्याण विभाग

  • आंगनबाड़ी केंद्र भवन का अनुरक्षण, मरम्मति एवं सुसज्जीकरण मद में जिला परिषद को राशि देना.
  • आंगनबाड़ी केंद्र को समय पर खोलने और नियमित संचालन में स्थानीय पंचायती राज संस्था द्वारा निगरानी रखना.
  • लाभुकों के चयन में भागीदारी सुनिश्चित करना.
  • पूरक पोषाहार की समय-समय पर जांच करना.
  • नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराना.
  • मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के लाभुक चयन में हिस्सेदारी देना.
  • अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन देना.

जल संसाधन

  • सहायक अभियंता, कार्यपालक अभियंता के माध्यम से कनीय अभियंता के नियंत्रण जिला परिषद के अधीन होगा.
  • सहायक अभियंता का प्रशासनिक नियंत्रण जिला परिषद के पास होगा.
  • कनीय अभियंता को अवकाश जिला परिषद सदस्य देंगे
  • कनीय अभियंता का गोपनीय चारित्री भी जिला परिषद सदस्य लिखेंगे.

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