रांची : पारा शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली पर पारा शिक्षक एकमत नहीं हैं, लेकिन इनका बड़ा गुट नियमावली पर सहमत हो सकता है. झारखंड एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा में चार शिक्षक संगठन शामिल हैं. राज्य में वर्तमान में लगभग 61 हजार पारा शिक्षक कार्यरत हैं.
इनमें 13 हजार शिक्षक पात्रता परीक्षा सफल हैं, जबकि 48 हजार शिक्षक परीक्षा पास नहीं हैं. वैसे पारा शिक्षक जो पात्रता परीक्षा सफल नहीं हैं, वह फिलहाल सरकार द्वारा मानदेय वृद्धि के साथ दी गयी अन्य सुविधाओं को मान सकते हैं. लेकिन वेतनमान को लेकर आगे आवाज उठाते रहने की बात कह सकते हैं. ऐसे में पारा शिक्षकों का 29 दिसंबर से प्रस्तावित आंदोलन स्थगित हो सकता है.
वहीं, दूसरी ओर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) में सफल पारा शिक्षक नियमावली को लेकर संतुष्ट नहीं हैं. उनका कहना है कि वह सरकारी शिक्षक बनने की सभी अहर्ता पूरी करते हैं, इसके बाद भी वेतनमान नहीं दिया गया. जब बिहार की तर्ज पर वेतनमान देने की बात कही गयी थी, तो फिर बिहार नियमावली लागू क्यों नहीं की गयी? सेवा शर्त नियमावली में वेतनमान नहीं देने से पारा शिक्षकों में नाराजगी तो है, पर वे फिलहाल नियमावली को पूरी तरह खारिज कर आंदोलन के पक्ष में भी नहीं हैं.
झारखंड एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राज्य और जिला प्रतिनिधियों की रविवार को ऑनलाइन बैठक हुई. बैठक में शिक्षा मंत्री के साथ हुई वार्ता पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी. सभी जिलों को लिखित में अपना पक्ष बताने के लिए कहा गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार, अधिकतर जिला फिलहाल नियमावली को स्वीकार कर आगे बढ़ने के पक्ष में थे. पारा शिक्षक आज अपना रुख स्पष्ट करेंगे.
पारा शिक्षकों की मांगों को लेकर चार शिक्षक संगठनों ने मिलकर वर्ष 2018 में झारखंड राज्य एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा का गठन किया था. इनमें झारखंड प्रदेश पारा शिक्षक संघ, झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा सफल पारा शिक्षक संघ, झारखंड राज्य सहयोगी शिक्षा मित्र पारा शिक्षक संघ व झारखंड सामुदायिक पारा शिक्षक संघ शामिल हैं.
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के संजय दुबे ने रविवार को पारा शिक्षक संघ से इस्तीफा दे दिया. संजय दुबे झारखंड प्रदेश पारा शिक्षक संघ के अध्यक्ष थे. उन्होंने बताया कि सरकार अब तक पारा शिक्षकों को वेतनमान देने की बात कह रही थी, ऐसे में वेतनमान नहीं दिया जाना निराशाजनक है.
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के संयोजक सह झारखंड सामुदायिक पारा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद बिहारी महतो ने कहा है कि वर्ष 2008 में भी पारा शिक्षकों ने नियमावली को स्वीकार नहीं किया था, जिसका खामियाजा शिक्षक आज तक भुगत रहे हैं. ऐसे में जो नियमावली तैयार की गयी है, उसे स्वीकार कर आगे इसमें बदलाव को लेकर आवाज उठाते रहेंगे.
झारखंड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सिद्दीक शेख ने बताया कि उन्हें नियमावली स्वीकार है. नियमावली के कुछ बिंदुओं पर अपना सुझाव शिक्षा मंत्री को देंगे.
झारखंड राज्य सहयोगी शिक्षा मित्र पारा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष ऋषिकेश पाठक ने कहा है कि नियमावली को लेकर जिलों से राय मांगी गयी है, अधिकतर जिलों का कहना है कि नियमावली पूरी तरह खारिज नहीं की जा सकती है.
वेतनमान नहीं दिये जाने से नाराज कुछ पारा शिक्षकों ने सोशल मीडिया पर शिक्षा मंत्री को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की है. मोर्चा के हृषिकेश पाठक ने ऐसे पारा शिक्षकों को चिह्नित कर कार्रवाई की बात कही है.
Posted By : Sameer Oraon