झारखंड के पारा शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली बदलेगी, निर्धारित होगा कट ऑफ

झारखंड के पारा शिक्षकों के लिए आकलन परीक्षा में अलग अलग कट ऑफ तय किया गया है. इसके मुताबिकसामान्य वर्ग के 40 फीसदी व ओबीसी एससी व एसटी कोटि के लिए 35 फीसदी निर्धारित किया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 12, 2024 8:32 AM
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रांची : झारखंड में सहायक अध्यापक (पारा शिक्षक) सेवा शर्त नियमावली में बदलाव होगा. झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने इस संबध में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग से मार्गदर्शन मांगा है. सहायक अध्यापक सेवा शर्त नियमावली 2022 में शिक्षकों के मानदेय में बढ़ोतरी के लिए आकलन परीक्षा का प्रावधान किया गया है. आकलन परीक्षा में सफल शिक्षकों के मानदेय में 10 फीसदी की वृद्धि की जाती है.

आकलन परीक्षा का प्रावधान उन शिक्षकों के लिए किया गया है, जो झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा पास नहीं है. आकलन परीक्षा में पास करने के लिए सामान्य वर्ग के शिक्षकों के लिए 40 फीसदी व ओबीसी, एससी व एसटी कोटि के शिक्षकों के लिए न्यूनतम कट ऑफ 35 फीसदी निर्धारित किया गया है. नियमावली में इडब्लूएस व दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए कट का उल्लेख नहीं किया गया है. ऐसे में दिव्यांग व इडब्ल्यूएस कोटि के अभ्यर्थी कट ऑफ निर्धारण की मांग कर रहे थे. इस आलोक में झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग से मार्गदर्शन मांगा गया है. इसके लिए सहायक अध्यापक सेवा शर्त नियमावली 2022 में बदलाव किया जायेगा.

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विभाग के मार्गदर्शन के बाद परीक्षा

पारा शिक्षकों के लिए कुल चार आकलन परीक्षा लिये जायेंगे. पिछले वर्ष एक परीक्षा ली गयी थी. इस वर्ष परीक्षा की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है. शिक्षा विभाग से मार्गदर्शन प्राप्त होने के बाद परीक्षा की प्रक्रिया शुरू की जायेगी. जुलाई अंत तक आकलन परीक्षा की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है.

मानदेय में चार फीसदी की बढ़ोतरी नहीं हुई

सेवा शर्त नियमावली के अनुसार, शिक्षकों के मानदेय में प्रति वर्ष चार फीसदी की बढ़ोतरी होनी है. इसके लिए शिक्षकों को प्रति वर्ष सेवा संतोषप्रद होने का सत्यापन कराना होता है. प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों का सेवा सत्यापन मुखिया व मध्य विद्यालय के शिक्षकों के सेवा का सत्यापन प्रमुख के स्तर से किया जाता है. शहरी क्षेत्र के शिक्षकों के सेवा का सत्यापन किसके द्वारा किया जायेगा इसका प्रावधान नियमावली में नहीं है. इस कारण पिछले दो वर्ष से शहरी क्षेत्र के विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के मानदेय में वृद्धि नहीं हुई है.

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