झारखंड में 7 फीसदी आबादी सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया से पीड़ित, पायलट प्रोजेक्ट रांची छोड़ अन्य जगहों पर ठप
झारखंड में करीब पांच से सात फीसदी आबादी सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया से पीड़ित है. वहीं, राज्य की कुल जनजातीय आबादी का 12 फीसदी हिस्सा इस बीमारी का शिकार है. आबादी बढ़ने के साथ ही उक्त बीमारियां भी बढ़ रही हैं.
रांची, बिपिन सिंह : ‘सिकलसेल एनीमिया’ और ‘थैलेसीमिया’ रक्त विकारों से जुड़ी आनुवांशिक बीमारियां हैं. इनके मरीजों को समय-समय पर ब्लड ट्रांसफ्यूजन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जो बेहद पीड़ादायक होता. झारखंड में करीब पांच से सात फीसदी आबादी सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया से पीड़ित है. वहीं, राज्य की कुल जनजातीय आबादी का 12 फीसदी हिस्सा इस बीमारी का शिकार है. आबादी बढ़ने के साथ ही उक्त बीमारियां भी बढ़ रही हैं. हालांकि, 10 साल पहले गुजरात की तर्ज पर राज्य में पायलट प्रोजेक्ट के तहत जमशेदपुर, देवघर, गुमला और रांची में रक्त विकार से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम के लिए काम शुरू हुआ. लेकिन रांची सदर अस्पताल को छोड़ अन्य जिलों में इसकी प्रगति सुस्त है. रांची सदर अस्पताल ऐसे मरीजों का न केवल स्क्रीनिंग और क्लीनिकल परीक्षण कर रहा है, बल्कि पीड़ितों के माता-पिता की काउंसलिंग कर उन्हें जागरूक भी किया जा रहा है कि यह बीमारियां उनकी अगली पीढ़ी में स्थानांतरित न हों.
40 बेड के डे केयर में है उपचार की सुविधा
सदर अस्पताल के 40 बेड के डे केयर में सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया के मरीजों के उपचार की सुविधा मौजूद है. स्वास्थ्य विभाग सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया के मरीजों को दवाओं के साथ नियमित जांच भी मुहैया करता है. इसके लिए खासतौर पर ‘एएमबी टी थ्री मोबाइल ऐप’ तैयार किया गया है. ‘थ्री टी’ का मतलब ‘टेस्ट(जांच), ट्रीट(इलाज) और टॉक(बातचीत के जरिये काउंसेलिंग)’ से है. इस ऐप में मरीज का पूरा विवरण दर्ज होता है, जिसके जरिये उसकी लगातार स्क्रीनिंग और ट्रैकिंग की जाती है.
जागरूकता से काफी हद तक संभव है बचाव
डॉ बिमलेश सिंह कहते हैं कि लोगों में इन बीमारियों के प्रति जागरूकता बेहद जरूरी है. शादी से पहले लड़का-लड़की के रक्त विकारों की जानकारी होनी चाहिए. अगर रक्त विकार के वाहक की शादी स्वस्थ व्यक्ति से होगी, तो बीमारी की कड़ी टूट जायेगी और यह आगे की पीढ़ी में स्थानांतरित नहीं होगी. अगर शादी के बाद लड़का-लड़की दोनों में ही रक्त विकार का पता चलता है, तो परिवार बढ़ाने से पहले उन्हें डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चहिए.
सिकल सेल एनीमिया
यह एक आनुवांशिक रक्त विकार है, जिसमें मरीजों के रक्त में हिमोग्लोबिन स्ट्रक्चर के अंदर क्वालिटी चेंज के ट्रेंड दिखाई देते हैं. इसमें रक्त कोशिकाएं हसिया या अर्द्धचंद्राकार में बदल जाती हैं, जिससे इनके ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम हो जाती है.
थैलेसीमिया
यह आनुवांशिक रक्त विकार शरीर में असामान्य हीमोग्लोबिन और रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन के लिए जिम्मेदार है. हिमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं को ऑक्सीजन ले जाने में मदद करती है. इसके पीड़ितों में आयरन का स्तर बढ़ने से असहनीय दर्द होता है.
11 महीने की मासूम सिकल सेल एनीमिया की चपेट में
11 महीने की शिफा नाज सिकलसेल एनीमिया से जूझ रही है. उसे बार-बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराना पड़ता है. उनकी अम्मी रांची से 150 किमी दूर हजारीबाग के इटखोरी से उसे लेकर तीसरी बार रांची सदर अस्पताल पहुंची है. वह कहती हैं : शुरुआत में हमें कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि हमारी बच्ची में कोई कमी है. जब हम उसे वैक्सीन दिलवाने गये, तो डॉक्टर ने जांच के बाद बताया कि हमारी बच्ची इस गंभीर बीमारी की चपेट में है.