Jharkhand Police Latest News रांची : वैश्विक महामारी कोरोना से निबटने में झारखंड पुलिस की भूमिका अहम रही. पहली लहर में एक ओर जहां उन्होंने भूखों को खाना खिलाया, बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाया व लावारिस शवों का दाह संस्कार कर मानवता की मिसाल पेश की. वहीं दूसरी लहर में पुलिस आर्थिक रूप से गरीब बच्चों की सुध लेगी. वैसे बच्चे जो तंगी के कारण लैपटॉप, कंप्यूटर स्मार्ट फोन नहीं होने के कारण ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.
उन बच्चों के लिए डीजीपी नीरज सिन्हा ने उपकरण बैंक ( स्मार्ट फोन औऱ लैपटॉप बैंक ) ( Smart phone and laptop bank in Jharkhand ) खोलने का निर्णय लिया है. इसके तहत आम लोगों से पुराने स्मार्टफोन, लैपटॉप और कंप्यूटर दान करने की अपील की गयी है. डीजीपी ने इस पहल को लेकर सभी जिलों के एसपी के साथ पत्राचार किया है.
डीजीपी नीरज सिन्हा को ‘उपकरण बैंक’ खोलने की प्रेरणा जमशेदपुर की घटना से मिली, जहां 11 साल की तुलसी आम बेचने को मजबूर थी, क्योंकि घर में तंगी के कारण वह पढ़ाई की खातिर मोबाइल नहीं खरीद पा रही थी. वहीं तेलंगाना में ऐश्वर्या रेड्डी लॉकडाउन में पढ़ाई के लिए एक सेकेंड हैंड लैपटॉप खरीदना चाहती थी, लेकिन पैसे की कमी के कारण वह लैपटॉप नहीं खरीद सकी. इस पर उसने जान दे दी थी.
पत्र में डीजीपी ने कहा है कि कोविड संबंधी प्रतिबंधों के कारण कई जरूरी सेवाएं ऑनलाइन हो गयी हैं. अधिकांश कक्षाएं और परीक्षाएं डिजिटल हो गयी हैं. इसके लिए जहां एक ओर स्मार्ट फोन, लैपटॉप या कंप्यूटर की आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर ब्रॉडबैंड या मोबाइल डाटा नेटवर्क, दोनों की उपलब्धता जरूरी है. लेकिन ऑनलाइन सेवाओं तक छात्रों की पहुंच होने में असमानताएं हैं. इसका निराकरण भी सामुदायिक पुलिसिंग के तहत करना चाहिए.
डीजीपी ने सभी एसपी से कहा है कि व्यावसायिक ब्रांडिंग के कारण स्मार्टफोन , लैपटॉप, कंप्यूटर उपकरणों का जीवन चक्र छोटा होता जा रहा है. अक्सर लोग कम समय में स्मार्ट फोन और लैपटॉप के मॉडल बदल लेते हैं. ये पुराने मॉडल के उपकरण अक्सर अनुपयोगी पड़े रहते हैं या घातक रसायनों वाले इलेक्ट्रॉनिक कचरा के रूप में भूमि एवं जल को प्रदूषित करते हैं. जिनका उपयोग कर डिजिटल असमानता और इलेक्ट्रॉनिक प्रदूषण को कम किया जा सकता है. सामुदायिक पुलिसिंग के तहत कुछ योगदान कर सकते हैं.
डीजीपी ने सभी एसपी से यह भी कहा है कि यह निर्देश नहीं है, सिर्फ सुझाव है. इसलिए आप अपने स्तर से आवश्यक संशोधन कर सकते हैं. यह व्यवस्था कुछ दिनों तक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलायी जा सकती है, ताकि अड़चनों के आधार पर आवश्यक सुधार किया जा सके. डीजीपी ने निम्न बिंदुओं पर सभी जिलों के एसपी को सुझाव और टास्क भी दिया है.
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थाना अष्टक एवं जिला स्तर पर’उपकरण बैंक’ खोले जायें. जिसमें आम लोग अपने पुराने स्मार्टफोन और लैपटॉप जमा कर सकें.
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जमा हर उपकरण के संबंध में थाना में सनहा दर्ज किया जाये. जिसकी एक प्रतिलिपि उपकरण जमा करनेवाले व्यक्ति को प्रमाण स्वरूप दी जाये, ताकि उन्हें इस बात का विश्वास हो कि उपकरण का दुरुपयोग अगर किसी प्रकार से होता है, तो इसे जमा करनेवाले इसके लिए जिम्मेवार नहीं होंगे.
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सनहा में जमा कर्ता का नाम, पता, स्मार्टफोन का आइएमइआइ नंबर, लैपटॉप का यूनिक पहचान नंबर, जमा किये जाने की तिथि एवं समय रिकॉर्ड किया जाए
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जमा किये गये स्मार्टफोन व लैपटॉप का वितरण गरीब व मेधावी छात्रों के बीच उनके प्रधानाध्यापकों की अनुशंसा पर की जाये
1- वे निम्न आय वर्ग के हैं
2- उनके पास स्मार्टफोन या लैपटॉप पहले से उपलब्ध नहीं है
3 -वे मेधावी हैं
4- स्मार्टफोन या लैपटॉप दिये जाने पर संबंधित छात्र से प्राप्ति रसीद ली जाये, जिसमें उसका पूरा विवरण हो. प्राप्ति रसीद में यह अंडरटेकिंग भी लिखवा लिया जाये कि स्मार्टफोन या लैपटॉप के दुरुपयोग की स्थिति में वे दोषी होंगे.
Posted By : Sameer Oraon