झारखंड पुलिस कर देती है केस कमजोर, छूट जाते हैं ब्राउन शुगर के धंधेबाज
रांची: ब्राउन शुगर के धंधेबाज हर तिकड़म में माहिर होते हैं. कानून से बचने की पेचीदगी भी जानते हैं. इस कारण कई बार पकड़े जाते हैं और जल्द जेल से छूट जाते हैं. फिर से काले कारनामे में जुट जाते हैं. इन के आका या सफेदपोश सरगना की पकड़ ऊपर तक होती है. जब भी […]
रांची: ब्राउन शुगर के धंधेबाज हर तिकड़म में माहिर होते हैं. कानून से बचने की पेचीदगी भी जानते हैं. इस कारण कई बार पकड़े जाते हैं और जल्द जेल से छूट जाते हैं. फिर से काले कारनामे में जुट जाते हैं. इन के आका या सफेदपोश सरगना की पकड़ ऊपर तक होती है. जब भी कोई पैडलर पकड़ा जाता है, तो झारखंड पुलिस उसे क्रेता न बता कर केस डायरी में उपभोक्ता (ग्राहक) बता देती है. साथ ही बरामद ब्राउन शुगर की मात्रा कम दिखा देती है. इस कारण कोई विशेष मामला नहीं बनता है और वह कुछ माह में ही जेल में छूट जाते हैं.
नशे के रिंग मास्टर इस धंधे में नाबालिग लड़कों का इस्तेमाल करते हैं. पकड़े जाने के कुछ ही दिन बाद ही नाबालिग होने का लाभ लेकर पुलिस की गिरफ्त से छूट जाते हैं. ऐसे लड़कों को गिरोह में शामिल करने के लिए स्कूल और शिक्षण संस्थान के बच्चों को नशे की लत दिला गिरोह में शामिल करते हैं. राजधानी के कई थाना क्षेत्रों में ब्राउन शुगर के सौदागर सक्रिय हैं.
Also Read: झारखंड की राजनीति में भी परिवारवाद का बोलबाला
राजधानी में चडरी, पीस रोड, गढ़ा टोली, गौस नगर, थड़पखना, आजाद बस्ती, राजकीय पॉलिटेक्निक के पीछे इस्लाम नगर, कर्बला चौक के पास ब्राउन शुगर का धंधा फल-फूल रहा है. ब्राउन शुगर की लत से लोअर बाजार थाना क्षेत्र के कई युवा जान तक गंवा चुके है. जबकि एक युवक अपराधी बन हत्या तक कर चुका है. फिलहाल वह जेल में हैं.
जेल से बाहर निकल कर फिर धंधे में जुटे :
15 मई 2023 को हजारीबाग रोड के गढ़ा टोली के समीप स्थित यूनी हाइट्स कॉम्प्लेक्स से ब्राउन शुगर का कारोबार करनेवाले दंपती अस्मिना उर्फ आस्मीन परवीन तथा उसके पति अय्याज कुरैशी उर्फ बबलू कयामत को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पलामू के रहनेवाले पति और पत्नी सातवें तल्ले पर किराये का घर लेकर नशे का धंधा करते थे. उसी अपार्टमेंट के संचालक एजाज कुरैशी और महिला समिति के सदस्यों ने उन्हें पकड़ा था.
पकड़े जाने के बाद पति तो फरार हो गया, जबकि आस्मीन एक माचिस के डिब्बा में रखे ब्राउन शुगर के साथ पकड़ी गयी थी. बाद में पुलिस ने उसके पति को भी पकड़ लिया और दोनों काे जेल भेज दिया था. कुछ दिनों तक जेल में रहने के बाद दोनों छूट गये और फिर से लोअर बाजार थाना क्षेत्र में गुप्त तरीके से ब्राउन शुगर बेच रहे हैं.
क्या है सजा का प्रावधान :
ब्राउन शुगर के साथ पकड़े गये धंधेबाजों के लिए न्यूनतम 10 तथा अधिकतम 20 साल की सश्रम कारावास की सजा तथा दो लाख रुपये तक जुुर्माना का प्रावधान है. इस संबंध में अधिवक्ता सुधीर श्रीवास्तव ने बताया कि ग्राहक, पैडलर व सौदागर के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान है. इस मामले में एनडीपीएस एक्ट की धारा 20, 20(ए), 20(बी), 20(सी) के तहत अलग-अलग सजा का प्रावधान निर्धारित किया गया है.
धारा-20 में एक साल व दस हजार जुर्माना, 20(ए) में एक साल तथा दस हजार जुर्माना, 20(बी) में एक से 10 साल तक सजा तथा एक लाख का जुर्माना तथा 20(सी) में 10 साल से 20 साल तक सजा तथा दो लाख तक जुर्माना का प्रावधान है. इसमें पुलिस की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है. ब्राउन शुगर के साथ गिरफ्तार व्यक्ति को यदि ग्राहक बता दिया जाता है, तो उसे शीघ्र जमानत मिल जाती है. इसमें कोई गवाह भी नहीं बनना चाहता.
यदि गवाह बन भी गया, तो वह अदालत मेंं मुकर जाता है, जिससे पैडलर या धंधेबाज को शीघ्र जमानत मिल जाती है. पुलिस बरामद मात्रा में भी खेल करती है. ब्राउन शुगर की मात्रा पांच से दस पुड़िया दिखा कर अदालत के सामने उन्हें ग्राहक बता दिया जाता है, जिससे अदालत उन पर सख्त नहीं हाेती है. बिना लाइसेंस का कोई ब्राउन शुगर कारोबारी आयात, निर्यात करता है तो उसे अधिकतम सजा होती है.
केस स्टडी-वन
अच्छा-खासा टेलर था, अभी है जेल में
लोअर बाजार थाना क्षेत्र में रहनेवाला एक हंसता-खेलता परिवार ब्राउन शुगर की जद में आकर उजड़ गया़ इस क्षेत्र के होनहार दर्जी की दाेस्ती ब्राउन शुगर का सेवन करनेवाले नशेड़ियों से हो गयी. धीरे-धीरे उसे भी ब्राउन शुगर की लत लग गयी. लत छुड़ाने के लिए घर वालों ने उसे पांच साल सीआइपी में भर्ती रखा. इसके बाद भी वह नहीं सुधरा. घरवालों ने उसकी शादी करा दी. लेकिन नशा में होने के कारण वह अपने पत्नी और बच्चों की पिटाई कर देता था. इस कारण उसकी पत्नी भी उसे छोड़ कर चली गयी. एक दिन नशे में उसने मुहल्ले के एक पांच वर्षीय बच्चे को पटक कर मार दिया. इस मामले में वह अभी जेल में है.
केस स्टडी- दो
पिता से दो बेटों का सहारा छिना
लोअर बाजार थाना क्षेत्र के गढ़ा टोली में रहनेवाले दो युवकों ने ब्राउन शुगर की लत के कारण अपनी जान गंवा दी. उसके पिता के अनुसार, पहले 24 साल के बड़े बेटे को नशे की लत लगी. फिर बड़े भाई को नशा करता देख 14 साल का छोटा भाई भी नशा करने लगा. गरीब होने के कारण वह अपने बेटों को इलाज नहीं करा पाये. एक साल के अंतराल में उस गरीब पिता के दोनों बेटों की मौत हो गयी. वह व्यक्ति मजदूरी कर अपना घर चलाता था. उसे उम्मीद थी कि दोनों बेटे लायक होकर घर की आर्थिक स्थिति सुधारेंगे. लेकिन नशे ने उनका परिवार उजाड़ दिया.