स्थानीयता से संबंधित विधेयक को वर्तमान सरकार उसी स्वरूप में राज्यपाल को भेजेगी और दूसरी बार राज्यपाल को इसकी मंजूरी देना संवैधानिक बाध्यता होगी. उक्त बातें झामुमो के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने झामुमो कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही. उन्होंने कहा कि राजभवन से मिली सलाह और संदेश में एक बड़ा राजनीतिक संदेश है. उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, हमारी पहचान से जुड़ा मुद्दा है. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि हमलोगों ने निर्णय लिया है कि चालू सत्र में पुन: इस विधेयक को लायेंगे. यह सर्वसम्मति से पारित विधेयक था. उन्होंने कहा कि यह कोई तरीका नहीं है कि एक साल तक किसी विधेयक पर राज्यपाल कुंडली मार कर बैठे रहें. सरना धर्म के विधेयक को भी लटका कर रखा गया है. स्थानीयता विधेयक झारखंड की पहचान से जुड़ा मामला है. सबसे ज्यादा उपेक्षित यहां के आदिवासी और मूलवासी होते आये हैं. इसी के लिए तो अलग राज्य की लड़ाई हुई थी. इस लड़ाई को कमजोर कैसे करेंगे. हम हर हाल में उस कमिटमेंट को पूरा करेंगे.
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