जनवरी के आखिरी तीन दिन में झारखंड की राजनीति पूरी तरह से बदल गई. सीएम हेमंत सोरेन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. चंपई सोरेन को सत्ताधारी गठबंधन का नया नेता चुना गया. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता चंपई सोरेन ने राजभवन जाकर सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया. लेकिन, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने अब तक उन्हें सरकार बनाने का न्योता नहीं दिया है.
सत्ता पक्ष को डरा रही हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका
ऐसे में सत्ता पक्ष (झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल) को झारखंड में हॉर्स ट्रेडिंग का खेल शुरू होने की आशंका बढ़ गई है. इसलिए कांग्रेस ने झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट करने का फैसला किया है. विधायकों को शाम पांच बजे हैदराबाद के लिए चार्टर्ड विमान से उड़ान भरना था, लेकिन इसी दौरान शाम 5:30 बजे राज्यपाल ने सत्ता पक्ष के विधायकों को मिलने का समय दे दिया. उन्होंने पांच विधायकों को मिलने का समय दिया.
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राज्यपाल के पास क्या हैं विकल्प
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद झारखंड की राजनीति का ऊंट अब किस करवट बैठेगा? झारखंड में अब क्या होगा? झारखंड में नई सरकार बनेगी या राष्ट्रपति शासन लगेगा? संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) या इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इन्क्लूसिव अलायंस (आईएनडीआईए) गठबंधन के पास क्या विकल्प हैं? राज्यपाल के पास क्या विकल्प हैं? इन तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए देखें प्रभात खबर (prabhatkhabar.com) का एक्सक्लूसिव वीडियो…
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