Jharkhand News: दलबदल मामले को लेकर बाबूलाल मरांडी गये हाईकोर्ट, सुनवाई के तरीकों पर जतायी है आपत्ति

बाबूलाल मरांडी ने दलबदल बदल मामले को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में रिट याचिका दायक की है. उन्होंने विधानसभा स्पीकर के सुनवाई के तरीकों पर आपत्ति जतायी है. उन्होंने कहा कि उनकी गवाही व बहस सुने बिना ही केस को जजमेंट पर रख दिया गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 1, 2022 6:46 AM
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रांची: झारखंड विधानसभा स्पीकर के न्यायाधीकरण द्वारा 10वीं अनुसूची के तहत दल-बदल मामले में की जा रही सुनवाई के तरीके पर प्रतिवादी भाजपा विधायक बाबूलाल मरांडी ने सवाल उठाया है. उन्होंने सुनवाई के तरीकों पर आपत्ति करते हुए झारखंड हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर की है.

इसमें कहा गया है कि न्यायाधीकरण ने बिना इश्यू तय किये, उनकी गवाही व बहस सुने बिना ही केस को जजमेंट पर रख दिया है. प्रार्थी मरांडी की ओर से वरीय अधिवक्ता राजीव शर्मा ने याचिका पर शीघ्र सुनवाई के लिए जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में विशेष मेंशन किया.

अदालत ने कहा कि केस नंबर-टोकन मिलने के बाद आयें. उधर स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने मंगलवार को मरांडी के खिलाफ दलबदल को लेकर दायर चार याचिकाओं की सुनवाई एक साथ करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है़ वह एक सितंबर को प्रदीप यादव व बंधु के खिलाफ दलबदल मामले की सुनवाई करेंगे़

बाबूलाल मरांडी के विधायकी पर लटक रही है तलवार

भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी पर दलबदल की तलवार लटक रही है. 10वीं अनुसूची के तहत श्री मरांडी के खिलाफ मिली शिकायत पर स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने सुनवाई पूरी कर ली है़ 21 जनवरी 2021 से स्पीकर के न्यायाधिकरण में शुरू हुई सुनवाई मंगलवार को पूरी हो गयी है़ स्पीकर ने फैसला रिजर्व रख लिया है़ वह कभी भी इस मामले में फैसला सुना सकते हैं. वहीं विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के मामले में एक सितंबर को सुनवाई करेंगे.

स्पीकर पर लगाया गंभीर आरोप

आपको बता दें कि बाबूलाल मरांडी ने स्पीकर पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने पहले से सब कुछ तय कर लिया है. उन्होंने ये बातें प्रभात खबर से खास बातचीत में कही है. उन्होंने कहा कि मैं पहले से कहता आया हूं कि वह सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं. स्पीकर को झामुमो का जो आदेश मिलेगा, वही काम करेंगे. उनकी पार्टी के नेता तो ट्वीट कर बता रहे हैं कि मेरी सदस्यता जा रही है. उनके फैसले से पहले पार्टी के लोगों को पता है. इनको संविधान से कोई लेना-देना नहीं है.

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