‘द छोटानागपुर हैंडलूम एंड खादी वीवर्स को-ऑपरेटिव यूनियन’ की ओर से इरबा (रांची) में आयोजित बुनकर संवाद में वक्ताओं ने सरकार में अपने ही मंत्रियों के कामकाज पर सवाल उठाये. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, मंत्री बन्ना गुप्ता व बादल के साथ विधायक अंबा प्रसाद, राजेश कच्छप व इरफान अंसारी की उपस्थिति में सरकार के कामकाज पर सवाल उठाये गये. वक्ताओं ने मंत्रियों पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया.
कहा कि अपनी सरकार में ही बुनकरों को सहयोग नहीं मिल रहा है. ऑल इंडिया मोमिन कांफ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष मंजूर अहमद अंसारी ने कहा कि बुनकरों को एक भी बजट नहीं मिला. बिहार के अस्पतालों में बुनकरों का बनाया सतरंगी चादर बिछाया जाता है. हमारे यहां अब तक कुछ नहीं हुआ है. अल्पसंख्यक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए सीट ही नहीं है. बुनकरों की सब्सिडी के लिए 10 करोड़ का प्रावधान था.
इसमें 8.32 करोड़ सरेंडर हो गये. जब हमारी सरकार में काम नहीं होगा, तो क्या मुंह लेकर छह माह बाद जनता के पास जायेंगे. अगर मुसलमान दूसरी ओर रुख करने लगेंगे, तो हमको नहीं बोलियेगा. वोटर शिफ्ट हो जायेंगे. अल्पसंख्यक स्कूलों के मामले में एक सचिव के निर्णय को दूसरे सचिव काट देते हैं. बुनकरों को सब्सिडी देने की प्रक्रिया जटिल कर दी गयी है. मुस्लिम लड़के की मॉब लिंचिंग होती है, तो कोई मंत्री-विधायक देखने नहीं जाता है. वहीं, दूसरे कौम वालों को नौकरी दे दी जा रही है. यह समझ नहीं आ रहा है कि सरकार में बैठे हमारे नेता क्या कर रहे हैं?
ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी ने बुनकरों से कहा कि, जहां-जहां अपनी सरकार है,वहां के बुनकरों की समस्या को लेकर मैं खुद राहुल गांधी से भेंट करूंगा. केंद्र पर भी दबाव बनाया जायेगा. आपके हक के लिए अपनी सरकार से भी लड़ने की जरूरत होगी, तो लड़ेगे. अभी हमलोग गोडसे के दौर में गांधी के साथ चल रहे हैं. जिन कांग्रेसियों को पार्टी ने कुछ दिया है, वह अगर आपको कुछ नहीं लौटा रहे हैं, तो उनका कॉलर पकड़िये. कम्युनिकेशन गैप दूर करें. मॉब लिंचिंग को लेकर जो कानून बनानेवाला है, उसे बनाने के लिए सीएम पर दबाव बनायेंगे.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि यह कहने में कोई ग्लानि नहीं होनी चाहिए कि हमें अपने लोगों ने ही लूटा है. यह हमारी कमी का भी परिणाम है. जितनी ताकत से हम मंच पर बात रख रहे हैं, उतनी ताकत से सरकार में नहीं बोल रहे हैं. अगर ऐसा होता, तो समस्या का समाधान एक सप्ताह के अंदर हो जाता.