रांची: हेमंत सोरेन सरकार ने सोमवार को सदन में विश्वास मत हासिल किया. हेमंत ने आसानी से 48 विधायकों का समर्थन जुटाया. सत्ता पक्ष ने भाजपा पर राज्य को अस्थिर करने की साजिश का आरोप लगाया है़ साथ ही कहा कि राज्य में खरीद-फरोख्त की कोशिश हो रही है़ भाजपा के लोगों की चोरी पकड़ी गयी है़ उधर भाजपा और आजसू के विधायकों ने कहा कि इस सरकार को विश्वास मत लेने के लिए किसने कहा है़ इनको अपने विधायकों पर ही विश्वास नहीं है.
सदन में झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि विश्वास मत के प्रस्ताव का विरोध करने वाले लोगों को जनादेश पर भरोसा नहीं है. 2019 में झारखंड की जनता ने ये नारा दिया दिया था कि हेमंत है तो हिम्मत है. आज सदन नारा देती है कि हेमंत है तो विश्वास है. हमें विश्वास है कि झारखंड की हर बेटी के घाव में हेमंत मरहम लगायेंगे. भाजपा की ओर से चुनी हुई सरकार को अपदस्थ करने की साजिश रची जा रही है. आदिवासी मुख्यमंत्री जिन सवालों को लेकर आये थे, लेकिन सरकार को अपदस्थ करने की लगातार कोशिश हो रही है.
उन्होंने कहा कि भाजपा आदिवासी मुख्यमंत्री बर्दाश्त नहीं कर पा रही है. भाजपा नेताओं ने पिछले 20 सालों में झारखंड की डेमोग्राफी बदल दी. भाजपा धर्म के आड़ में लोगों का शोषण कर रही है. पूर्ववर्ती सरकार ने 1985 का कट ऑफ डेट निर्धारित कर झारखंडियों को नौकरी से वंचित करने का काम किया. झारखंडियों की एक ही पहचान है 1932 का खतियान. मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि 1932 के खतियान को आधार बना कर स्थानीय नीति लागू की जाये.
विधायक प्रदीप यादव ने सीएम के विश्वास प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि 2019 के बाद चार बार उपचुनाव हुए. हर बार यूपीए की जीत हुई. इसलिए भाजपा डरी हुई है. ऐसे में वह अब चुनाव लड़ना नहीं, बल्कि विधायकों को खरीदना चाहती है. 2014 गवाह है कि कैसे झाविमो के विधायकों को भाजपा ने खरीदा.
इस बात के और कोई नहीं बल्कि बाबूलाल मरांडी गवाह हैं. मुझे अपनी सरकार पर पूरा भरोसा : सदन में कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह महिला अत्याचार पर बोलते हुए भावुक हुई. उन्होंने कहा कि महिलाओं के मुद्दे पर राजनीतिक करना गलत है. हमलोग शर्मिंदा हैं कि झारखंड में जितनी बच्चियों के साथ अन्याय हुआ, भाजपा का कोई नेता उन्हें देखने नहीं गये.
सत्र को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये थे. विधानसभा परिसर तक तो सुरक्षा में बहुत कड़ाई नहीं थी. लेकिन, विधानसभा के मुख्य भवन में प्रवेश को लेकर कड़ाई बरती जा रही थी. बिना अधिकृत पास के किसी को अंदर नहीं जाने दिया गया. विधायकों के निजी सहायकों को भी मुख्य भवन में प्रवेश नहीं करने दिया गया. मुख्य भवन के कैंटीन तक भी किसी को नहीं जाने दिया जा रहा था. प्रेस दीर्घा में भी प्रवेश करने वालों का मोबाइल बाहर रखवा दिया गया था.