Jharkhand News, Ranchi News रांची : झामुमो ने भाजपा की विश्वास रैली को आदिवासियों के साथ किये गये विश्वासघात रैली बताया है. झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा बीजेपी नेताओं के मुंह से आदिवसी शब्द तो निकला लेकिन किसी ने भी यहां का मूल अभिवादन जोहार तक का इस्तेमाल नहीं किया. आदि धर्म की बात तो की, लेकिन इनके मुंह से सरना धर्म कोड की बात नहीं निकली. राज्य के आदिवासी समझ गये हैं कि उसकी पहचान के साथ खेलने वाले लोग उसे कैसे राजनीतिक तौर पर हासिये पर रखा.
पार्टी कार्यालय में रविवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री भट्टाचार्य ने कहा कि विश्वास रैली से आदिवासी चेहरे विलुप्त थे. पिछले विधानसभा में आदिवासियों का विश्वास खोने के ढाई साल बाद भाजपा को आदिवासी याद आये. उन्हें अब डर सताने लगा है, इसलिए विश्वास रैली कर इन्हें दिग्भ्रमित करने का काम कर रहे हैं. राज्य के आदिवासी यह नहीं भूले हैं कि पिछले सरकार में कैसे सीएनटी-एसपीटी एक्ट में छेड़छाड़ की कोशिश की.
उस वक्त बाबूलाल मरांडी ने भी इसको लेकर विरोध जताया था, लेकिन आज वे उसी भाजपा के साथ जुड़ कर पूर्ववर्ती सरकार के कार्यों को सराहना रहे हैं. केंद्रीय जनजाति मामले के मंत्री की बात की जाये तो उन्होंने आदिवासी को जोड़ने की जगह अपनी जाति को एसटी में शामिल करने का काम किया है. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि हेमंत सरकार आदिवासियों के हितों को ध्यान में रख कर काम कर रही है.
सरना धर्म कोड लागू करने को लेकर विधानसभा से पारित कर इसे केंद्र सरकार के पास भेजने का काम किया. इसको लेकर जून माह में पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मुलाकात करेगा.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा नेताओं की जुबान पर सोते-जागते एक ही नाम आ रहा है हेमंत सोरेन. पिछली भाजपा सरकार के पांच साल के कार्यकाल में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 25 बार जमीन घोटाला की बात की थी. इसको लेकर एसआइटी का गठन भी किया गया था. भाजपा नेताओं को बताना चाहिए कि इस जांच का क्या नतीजा निकला.
उन्होंने कहा कि एनएसओ की रिपोर्ट बताती है कि देश में पिछले आठ साल में सबसे अधिक महंगाई बढ़ी है. 44 करोड़ लोग बेरोजगार हैं. हर वर्ष दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वायदा करने वाली केंद्र की भाजपा सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.
Posted By: Sameer Oraon