रांची: झामुमो ने रघुवर दास के कार्यकाल में हुए मोमेंटम झारखंड को सबसे बड़ा घोटाला करार दिया है. झामुमो के केंद्रीय सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि वर्ष 2017 में हुए मोमेंटम झारखंड में जिन 11 कंपनियों के साथ करार हुआ था, वे झारखंड में कुछ माह पहले ही बनी थीं. इससे साफ प्रतीत होता है कि सिर्फ मोमेंटम झारखंड का लाभ लेने के उद्देश्य से ही इन कंपनियों को बनाया गया था. इसको लेकर जांच चल रही है. कार्रवाई भी होगी.
पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में शनिवार को पत्रकारों को श्री भट्टाचार्य ने बताया कि मोमेंटम झारखंड में कुल 238 एमओयू हुए थे. इनमें से 13 एमओयू विदेशी कंपनियां, 74 एमओयू झारखंड की कंपनियां और शेष एमओयू अन्य राज्यों की कंपनियों के साथ हुए थे. चार चरणों में की गयी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में कुल 350 एकड़ जमीन का आवंटन हुआ. 238 एमओयू में से केवल 25 एमओयू में 22 कंपनियों के निवेशकों को ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के तहत जमीन अावंटित की गयी थी.
इन्हें चार से लेकर 57 एकड़ जमीन का आवंटन हुआ. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसी 11 कंपनियां हैं, जो मोमेंटम झारखंड के कुछ महीने पहले बनी और उन्होंने सरकार के साथ करोड़ों का समझौता किया. इनमें से चार ऐसी कंपनियां हैं, जिन्होंने सरकार के साथ पहले समझौता किया और फिर कुछ दिन बाद एमसीए के अंदर नियमित हुए.
उन्होंने कहा कि जब यह मामले सामने आने लगा, तो इधर कुछ दिनों से भाजपा के अंदर बौखलाहट बढ़ गयी है. इसकी मुख्य वजह मोमेंटम झारखंड है.
मुख्यमंत्री पर लगे खनन लीज के आरोप पर श्री भट्टाचार्य ने कहा कि संविधान को जाननेवाले लोगों ने ही कहा है कि माइनिंग लीज पीपुल्स रिप्रजेंटेशन एक्ट की धारा 9 ए के दायरे में नहीं आता है. रामकृष्ण हेगड़े के मामले में भी इस तरह का केस हुआ था. उस वक्त भी चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर उन्हें अयोग्य मान लिया था.
परंतु कर्नाटक हाइकोर्ट ने उसे रूल आउट किया. दिल्ली में भी इसी प्रकार का मामला आया. बाद में हाइकोर्ट के आदेश पर विधायक रेगुलरराइज हो गये. भाजपा को उस वक्त भी दिल्ली की हार बर्दाश्त नहीं हो रही थी. इसी झारखंड में भाजपा अपनी हार को पचा नहीं पा रही है. इसलिए कहानीकार दीपक प्रकाश, निर्देशक रघुवर दास व कलाकार की भूमिका में बाबूलाल मरांडी सामने आये हैं.
Posted By: Sameer Oraon