विधायक सरयू राय के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव विजय वर्मा के बयान पर डोरंडा थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है़ इसमें सरयू राय के खिलाफ चोरी, साजिश व छलपूर्वक गोपनीय फाइल और दस्तावेज हासिल करने का आरोप लगाया गया है़ कहा गया है कि उस दस्तावेज के आधार पर सरकार को लेकर टीका टिप्पणी की गयी है और सरकार की छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया.
स्वास्थ्य विभाग के कर्मी की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए दस्तावेज उपलब्ध करानेवाले कर्मी की तलाश कर कार्रवाई करने के लिए कहा गया है़ प्राथमिकी भादवि की धारा 409,420,379,411, 120 (बी) तथा ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट, 1923 की धारा- पांच के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है़ इसमें अनुलग्नक के रूप में स्थानीय समाचार पत्रों व सोशल मीडिया में प्रकाशित समाचार पत्रों की छाया प्रति लगायी गयी है़
प्राथमिकी में कहा गया है कि कोरोना के दौरान चिकित्सा में लगे कर्मियों के लिए अप्रैल 2020 के मूल वेतन के समतुल्य प्रोत्साहन राशि देने का अनुमोदन किया गया था़, जिसमें प्रोत्साहन राशि देने लिए 59 पदाधिकारियों के नाम की अनुशंसा विभाग से मिली थी़
साथ ही विभागीय समिति की ओर से 92 तथा स्वास्थ्य मंत्री के आप्त सचिव से प्राप्त कोषांग के कुल 60 पदाधिकारियों के नाम का अनुमोदन हुआ था़ इसके लिए कुल पांच कार्यालय आदेश 26 मार्च को निकाला गया था़ प्राथमिकी में कहा गया है कि सरकार के किसी अधिकृत अधिकारी की जानकारी के बिना गोपनीय दस्तावेज विभाग से बाहर आये, अवर सचिव ने इसकी भी जांच करने को कहा गया है.
इसमें सरकारी कर्मी द्वारा गोपनीय दस्तावेज को छलपूर्वक निकाल लेने, चोरी करना, धोखाधड़ी व षड्यंत्र का आरोप लगाया गया है़ इसमें कहा गया है कि इतना ही नहीं , कुछ गोपनीय दस्तावेज अखबार में प्रकाशित भी करा दिये गये. यह सभी कुछ सरकार की छवि को धूमिल करने के लिए किया गया़ अवर सचिव ने प्राथमिकी दर्ज कर पूरे मामले की जांच करने का आग्रह पुलिस से किया है़ इधर डोरंडा पुलिस प्राथमिकी दर्ज होने के बाद हर पहलू की जांच कर रही है़
विधायक सरयू राय ने उनके ऊपर ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के तहत दर्ज करायी गयी प्राथमिकी पर कहा है कि मंत्री के आदेश पर विभाग के अवर सचिव विजय वर्मा द्वारा की गयी यह प्राथमिकी मूर्खतापूर्ण व कायराना हरकत है. ऐसा कर उन्होंने विभागीय मंत्री के भ्रष्ट आचरण को विभाग द्वारा स्वीकृति प्रदान कर दी है. श्री राय ने कहा कि बिहार सरकार में भ्रष्टाचार के तीन मामलों को उन्होंने उजागर किया था, जिसमें दोषियों पर कार्रवाई हुई. लेकिन आॅफिसियल सीक्रेट एक्ट के आधार पर उनके विरुद्ध कारवाई नहीं हुई. 2006 में जब उन्होंने तत्कालीन सीएम मधु कोड़ा के भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ किया था, तब कोड़ा ने उन पर प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
Posted By: Sameer Oraon