Jharkhand Politics: झारखंड में अलग है सरकार बनने-गिरने की कहानी, ऐसा रहा है इतिहास

Jharkhand Politics: झारखंड में सरकार बनने और गिरने की कई कहानियां हैं. 24 साल में 13 मुख्यमंत्री बने. अब तक की सरकारों की कहानियां यहां पढ़ें.

By Mithilesh Jha | November 23, 2024 7:55 PM

Jharkhand Politics: झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल ने 25 दिसंबर 2009 को कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरीय नेता लालकृष्ण आडवाणी से उन्होंने ही आग्रह कर अलग राज्य के लिए 15 नवंबर की तारीख तय करायी थी. उन्होंने कहा था कि 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती है, इसलिए यह दिन बेहद शुभ है. ऐसा लगता है कि मेरी (बाबूलाल की) सोच गलत थी. यह बात वह दिल्ली जाने के क्रम में बिरसा मुंडा हवाई अड्डे पर कह रहे थे. अब तो ज्यादातर लोग बाबूलाल से सहमत लगते हैं. सरकार बनने-गिरने की कहानी सब कुछ साफ कर देती है.

संजय यादव ड्राइवर और स्टीफन बने कंडक्टर

बाबूलाल पहले सीएम बने. 2002 में ही इस एनडीए सरकार के दो सहयोगी दलों जदयू व समता पार्टी के विधायकों ने बगावत कर दी. ये लोग यूपीए के साथ हो लिये. पहले स्पीकर जदयू के इंदर सिंह नामधारी को बतौर सीएम पेश किया गया. ड्रामा हुआ. यूपीए अपने विधायकों सहित एनडीए के असंतुष्टों को बस (कृष्णारथ) से बुंडू ले गया था. राजद विधायक संजय यादव चालक बने थे व स्टीफन कंडक्टर. 16 मार्च 2003 को बुंडू में ताश (जोबा मांझी के साथ) और चेस व लूडो (अन्नपूर्णा के साथ) खेला गया. एनडीए में अर्जुन मुंडा सीएम बने.

कमलेश कुमार व जोबा माझी ने दिया यूपीए को धोखा

अर्जुन मुंडा की सरकार चलती रही. फिर 2005 में झारखंड का पहला चुनाव हुआ. स्थिति स्पष्ट नहीं थी. फिर भी तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने शिबू सोरेन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया. शिबू सोरेन के पास बहुमत नहीं था. एनडीए ने अपने विधायकों की दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में परेड (17 मार्च 05) करा दी. मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया. कोर्ट के आदेश पर यूपीए को बहुमत साबित करने के लिए कहा गया. कमलेश सिंह और जोबा माझी ने यूपीए को धोखा दे दिया. 10 दिन मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन ने विधानसभा में बहुमत साबित करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया.

अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में बनी झारखंड सरकार

तीसरी राज्य सरकार बनने से पूर्व राष्ट्रीय जनतांत्रित गठबंधन ने इस डर से कि उनके विधायक पलटी न मार दें, उन्हें जयपुर की सैर करायी थी. उस यात्रा में विधायक लगभग नजरबंद थे. विधायकों को अपने पास रखने के लिए हर तरह के उपाय किये गये. देश भर में राजनीति की इस झारखंडी शैली की आलोचना हुई थी. उस समय काफी राजनीति हुई थी. राज्य में पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला था. अतत: राज्य में फिर से अर्जुन मुंडा की सरकार बनी. जिसे सरकार चलाने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा.

मधु कोड़ा को मिला सीएम बनने का मौका

इसी मुंडा सरकार में मधु कोड़ा भी मंत्री थे. कोड़ा को सीएम अर्जुन मुंडा व गृह मंत्री सुदेश महतो की कार्यशैली नापसंद थी. इसी बीच कोड़ा दिल्ली गये. यूपीए से मन की बात कही. तीन निर्दलीय विधायकों एनोस, कमलेश व हरिनारायण को पाले में लिया. एनोस व हरिनारायण तो दिल्ली पहुंचे, लेकिन कमलेश जमशेदपुर में धरा गये. बाद में कोड़ा सहित तीनों ने सरकार से इस्तीफा दे दिया. यूपीए के विधायकों को सैर करायी गयी. सभी विशेष विमान से रांची पहुंचे. अर्जुन मुंडा ने भी इस्तीफा (14 सितंबर 06) सौंप दिया. कोड़ा के नेतृत्व में सरकार बनी.

सीएम रहते शिबू सोरेन हार गये चुनाव

कोड़ा सरकार चलती रही. इधर शिबू सोरेन केंद्र में कांग्रेस की सरकार को बचाने के इनाम में सीएम का पद चाहते थे. कोड़ा सरकार के दो साल होने से एक माह पहले ही उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोंक दिया. कांग्रेस व राजद को शिबू के सामने झुकना पड़ा. तब कोड़ा ने बेमन से सीएम की कुर्सी छोड़ दी. शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बन गये. सभी निर्दलीय विधायकों को भी मंत्री बनाया गया. इधर चार माह बाद ही शिबू सोरेन तमाड़ उपचुनाव हार गये. 19 जनवरी 09 को पहली बार राष्ट्रपति शासन लगा. राज्यपाल थे सैयद सिब्ते रजी.

तीसरी बार मुख्यमंत्री बने शिबू सोरेन

झारखंड का पहला राष्ट्रपति शासन काल रजी के बाद राज्यपाल के शंकरनारायणन के कारण यादगार बन गया. उन्होंने बेहतर कार्य किये. इसी बीच 2009 का चुनाव हुआ. 23 दिसंबर 09 को जब परिणाम की घोषणा हुई, तो राज्य की जनता फिर खुद को ठगा महसूस करने लगी. विधानसभा फिर त्रिशंकु हो गयी थी. फिर से जोड़-तोड़ का खेल शुरू हो गया. आजसू के सहयोग से राज्य में भाजपा-झामुमो की सरकार (30 नवंबर 09) बनी. लोकसभा के सांसद शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बने.

अर्जुन मुंडा राज्य के 8वें मुख्यमंत्री बने

सरकार चल रही थी. शिबू को किसी सीट से विस चुनाव लड़ना था. इसी बीच शिबू ने लोकसभा में कट मोशन के दौरान यूपीए को वोट दे दिया. इधर झारखंड में शिबू सरकार के सहयोगी दल भाजपा को नागवार गुजरा. समर्थन वापस ले लिया. इसके बाद एक जून 10 को दोबारा राष्ट्रपति शासन लगा. तीन माह बाद भाजपा व झामुमो फिर एक मंच पर आये. झामुमो के अनुसार 18-18 माह सरकार में रहने की शर्त पर सरकार बनी. पहले भाजपा को मौका मिला. अर्जुन मुंडा आठवें सीएम बने. फिर अपनी बारी को लेकर झामुमो ने सरकार गिरा दी.

पहली बार सीएम बने हेमंत सोरेन

अर्जुन मुंडा के इस्तीफा देने के बाद किसी दल ने सरकार बनाने का दावा नहीं किया. इस कारण राज्य में 18 जनवरी 2013 को राष्ट्रपति शासन लग गया. 18 जुलाई को राष्ट्रपति शासन के छह माह पूरे होनेवाले थे. जनवरी माह में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने स्थिति का जायजा लेने के लिए बैठक की. शकील अहमद ने पार्टी विधायकों के साथ बैठक की. जुलाई के दूसरे सप्ताह में सबने हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने का तय किया. पहली बार 13 जुलाई 2013 को हेमंत के हाथ में सरकार की बागडोर गयी.

पहली बार गैर-आदिवासी बना मुख्यमंत्री

वर्ष 2014 में दिसंबर के तीसरे सप्ताह में हुए चुनाव के बाद एनडीए बहुमत के करीब पहुंच गयी थी. पहली बार गैर आदिवासी मुख्यमंत्री की बात होने लगी थी. रघुवर दास पर सबकी निगाह टिकी थी. एनडीए की जीत के बाद दिल्ली में हुई बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुवर दास को मुख्यमंत्री बनाये जाने का प्रस्ताव रखा गया था. 28 दिसंबर 2014 को रघुवर दास ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व वाले झाविमो के आधा दर्जन विधायक भाजपा में शामिल हो गये. श्री दास 2019 तक सीएम रहे.

यूपीए सरकार बनी, चंपाई सोरेन को भी मिला सीएम बनने का मौका

वर्ष 2019 के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में झामुमो को 30 सीट मिली. 18 सीट कांग्रेस तथा एक-एक सीट माले और राजद को मिली. निर्दलीय सरयू राय ने भी सरकार का समर्थन किया. इसके बाद 29 दिसंबर 2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बहुमत की सरकार बनी. सरकार 31 जनवरी 2024 तक चली. इसी दिन सीएम हेमंत सोरेन से इडी ने पूछताछ की. इसी क्रम में सीएम ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद चंपाई को सीएम बनने का मौका मिला.

चंपाई सोरेन को सीएम बनाने का निर्णय लिया

दो दिनों तक राज्य में असमंजस्य की स्थिति रही. मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसको लेकर चर्चाएं होती रही. बाद में इंडिया गठबंधन ने संयुक्त रूप से झामुमो के वरीय नेता चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया. श्री सोरेन ने दो फरवरी 2024 को सीएम पद की शपथ ली. जून माह के अंतिम सप्ताह में जेल से बाहर आने के बाद हेमंत सोरेन ने चंपाई सोरेन को इस्तीफा देने के लिए कहा. इसे लेकर कई तरह की चर्चा होती रही. चंपाई सोरेन ने भारी दबाव के बीच मुख्यमंत्री के पद से अपना इस्तीफा दे दिया.

हेमंत सोरेन तीसरी बार बने मुख्यमंत्री

3 जुलाई 2024 को चंपाई सोरेन ने राज्य सरकार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और चार जुलाई को हेमंत सोरेन ने तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के कुछ माह बाद ही चंपाई सोरेन ने हेमंत सोरेन पर कई आरोप लगाये और भाजपा के साथ हो लिये. इसके बाद काफी उथल-पुथल का दौर रहा और झारखंड की राजनीति में काफी गहमा-गहमी रही. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सीएम रहते काफी चुनौतियों और दबाव का सामना करना पड़ा.

झारखंड में कब किसकी बनी सरकार

मुख्यमंत्री का नाममुख्यमंत्री का कार्यकालपार्टी का नाम
बाबूलाल मरांडी15 नवंबर 2000 से 18 मार्च 2003 तकभाजपा
अर्जुन मुंडा18 मार्च 2003 से 2 मार्च 2005 तकभाजपा
शिबू सोरेन02 मार्च 2005 से 12 मार्च 2005 तकझामुमो
अर्जुन मुंडा12 मार्च 2005 से 18 सितंबर 2006 तकभाजपा
मधु कोड़ा18 सितंबर 2006 से 27 अगस्त 2008 तकनिर्दलीय
शिबू सोरेन27 अगस्त 2008 से 18 जनवरी 2009 तकझामुमो
राष्ट्रपति शासन19 जनवरी 2009 से 29 दिसम्बर 2009 तक
शिबू सोरेन30 दिसंबर 2009 से 31 मई 2010 तकझामुमो
राष्ट्रपति शासन1 जून 2010 से 10 सितंबर 2010 तक
अर्जुन मुंडा11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तकभाजपा
राष्ट्रपति शासन18 जनवरी 2013 से 13 जुलाई 2013 तक
हेमंत सोरेन13 जुलाई 2013 से 23 दिसंबर 2014 तकझामुमो
रघुवर दास28 दिसंबर 2014 से 28 दिसंबर 2019 तकभाजपा
हेमंत सोरेन29 दिसंबर 2019 से 31 जनवरी 2024 तकझामुमो
चंपाई सोरेन02 फरवरी 2024 से 3 जुलाई 2024 तकझामुमो
हेमंत सोरेन04 जुलाई 2024 से अब तकझामुमो

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