Jharkhand Politics, रांची: झारखंड की राजनीति के कई रंग हैं. राज्य बनने के बाद जहां युवा राजनीति को नयी धार मिली. वहीं, इसमें कई ऐसे चेहरे भी रहे, जो राजनीति में प्रवेश के समय कुंवारे थे. तब राजनीति में पहचान बनाने की धुन थी. धरना-प्रदर्शन से लेकर निरंतर राजनीतिक आयोजनों में व्यस्त देखकर उनके भविष्य को लेकर लोगों में शंका-आशंका रहती थी. वैसे युवाओं ने न सिर्फ राजनीति में अपना स्थान बनाया, बल्कि आज की तिथि में ऐसे चेहरे राज्य के स्थापित नेताओं में से एक हैं. ऐसे नेताओं की एक कहानी यह भी है कि पहले उन लोगों ने जनता के दिलों में अपनी जगह बनायी. फिर अपने लिये हमसफर (जीवनसाथी) चुना. जबकि, झारखंड के विधायकों में अब भी एक-दो चेहरे ऐसे हैं, जो अभी तक अकेले (कुंवारे) हैं.
मधु और गीता
मधु कोड़ा वर्ष 2000 में पहली बार विधायक चुने गये थे. इसके बाद वर्ष 2004 में गीता कोड़ा के साथ परिणय सूत्र में बंधे. शादी के बाद दोबारा चुनाव में उतरे और 2005 में जीत दर्ज की. मधु कोड़ा निर्दलीय चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बननेवाले पहले नेता बने.
सुदेश और नेहा
सुदेश महतो पहली बार 25 वर्ष की उम्र में वर्ष 2000 में सिल्ली विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे. तब वह शादीशुदा नहीं थे. राज्य बनने के बाद वह पहले मंत्रिमंडल में मंत्री भी बने. 2005 में दोबारा चुनाव जीते. इसके बाद मंत्री रहते 18 जून 2006 को नेहा महतो के साथ परिणय सूत्र में बंधे.
भानु और चानी
2005 में भवनाथपुर विस सीट से पहली बार भानु प्रताप शाही चुनाव जीते. 2007 में वह राज्य के स्वास्थ्य मंत्री भी बने. स्वास्थ्य मंत्री रहते भानु ने 12 दिसंबर, 2008 को चानी शाही के साथ शादी की. 2014 और 2019 में लगातार चुनाव जीते हैं. इस वर्ष भी चुनावी मैदान में हैं.
आलोक और सुजाता
डालटनगंज से आलोक कुमार चौरसिया पहली बार 2014 में चुनाव जीते थे. विधायक बनने के चार वर्ष बाद 2018 में आलोक ने कुमारी सुजाता के साथ शादी की. आलोक की शादी 27 अप्रैल, 2018 को हुई. इसके बाद वह 2019 में भी चुनाव जीते और 2024 में भी मैदान में हैं.
विकास और गरिमा
तमाड़ से विकास कुमार मुंडा 2014 में पहली बार निर्वाचित हुए थे. इसके लगभग तीन वर्ष बाद 13 जून, 2017 को वह गरिमा कुमारी के साथ परिणय सूत्र में बंधे. विकास कुमार मुंडा ने 2014 के बाद 2019 का भी चुनाव जीता. इस बार भी वह मैदान में हैं. इनके पिता रमेश सिंह मुंडा भी नेता थे.
दीपक और बबीता
दीपक बिरुआ वर्तमान में राज्य सरकार में मंत्री है. पहली बार 2009 में चाईबासा से विधायक बने. तब वह शादीशुदा नहीं थे. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने सरायकेला की बबीता हेम्ब्रम के साथ 2014 में शादी की. लगातार तीन दफा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड दीपक के नाम है.
अब भी जीवनसाथी का कर रहे हैं इंतजार
झारखंड की राजनीति में 81 विधायकों में से अभी भी दो विधायक कुंवारे हैं. इन विधायकों में जरमुंडी के विधायक सह पूर्व मंत्री बादल पत्रलेख और बड़कागांव की विधायक अंबा प्रसाद का नाम शामिल है. अंबा प्रसाद के पिता योगेंद्र प्रसाद और मां निर्मला देवी दोनों विधायक रहे हैं. वकालत की पढ़ाई पूरी कर अंबा राजनीति में आयी है.