राज्यसभा चुनाव 2016 केस, विधायक चमरा लिंडा व बिट्टू सिंह के वोट नहीं देने की होगी जांच, इन बिंदुओं पर जांच करने का निर्देश

एडीजी ने अपनी समीक्षा रिपोर्ट में लिखा है कि केस में उप निर्वाचन पदाधिकारी का बयान लिया गया था. जिनके द्वारा इस बात की जानकारी दी गयी थी कि कुल विधायक चुनाव में वोट देते तो प्रथम राउंड में 2701 कोटा निर्धारित होता. हालांकि चुनाव में 79 विधायकों ने ही वोट किया था. मतलब दो विधायकों ने वोट नहीं दिया था. इस कारण प्रथम राउंड का कोटा 2634 निर्धारित हुआ. बसंत सोरेन को प्रथम चरण में 2600 मत मिले थे.

By Prabhat Khabar News Desk | May 28, 2021 6:39 AM

Jharkhand News, Ranchi News रांची : राज्यसभा चुनाव 2016 में गड़बड़ी को लेकर जगन्नाथपुर थाना में दर्ज केस में हॉर्स ट्रेडिंग से संबंधित साक्ष्य एकत्र करने के लिए एडीजी सीआइडी अनिल पालटा ने बिशुनपुर के विधायक चमरा लिंडा और पांकी के तत्कालीन विधायक देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू सिंह के मामले में भी जांच का निर्देश रांची पुलिस को दिया है.

एडीजी ने अपनी समीक्षा रिपोर्ट में लिखा है कि केस में उप निर्वाचन पदाधिकारी का बयान लिया गया था. जिनके द्वारा इस बात की जानकारी दी गयी थी कि कुल विधायक चुनाव में वोट देते तो प्रथम राउंड में 2701 कोटा निर्धारित होता. हालांकि चुनाव में 79 विधायकों ने ही वोट किया था. मतलब दो विधायकों ने वोट नहीं दिया था. इस कारण प्रथम राउंड का कोटा 2634 निर्धारित हुआ. बसंत सोरेन को प्रथम चरण में 2600 मत मिले थे.

उन्हें एक और विधायक का मत मिलता, तब उनका कुल मत 2700 हो जाता. वहीं उनका मत निर्धारित कोटा से अधिक होता और इस आधार पर बसंत सोरेन चुनाव जीत जाते. लेकिन इस एक वोट की गड़बड़ी से पूरा परिणाम बदल गया था. समीक्षा रिपोर्ट में आगे इस बात का उल्लेख है कि उपरोक्त चुनाव में निर्मला देवी ने वोट दिया था. लेकिन पांकी के तत्कालीन विधायक बिट्टू सिंह एवं विशुनपुर के विधायक चमरा लिंडा ने वोट नहीं दिया.

मामले में बिट्टू सिंह का भी बयान लिया गया है. उन्होंने बताया था कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान उनके खिलाफ पलामू के तरहसी थाना में नौ मई 2016 को धारा 171(सी),171( एएफ) और धारा 17 सीएलए के तहत केस दर्ज हुआ था. चुनाव से दो-तीन दिन पहले उनके घर में पुलिस ने छापेमारी भी की थी. इस वजह से गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया था और पुलिस से छिप कर रहने लगे थे. उन्हें वोट डालने की अनुमति नहीं मिलने के कारण उन्होंने वोट नहीं दिया था.

एडीजी ने अनुसंधानकर्ता को निर्देश दिया है कि उनके खिलाफ दर्ज केस का जांच कर यह पता करें कि उनके खिलाफ केस दर्ज किये जाने के पीछे वैध कारण थे. क्या वैध कारणों से ही कांड का अनुसंधान बंद किया गया था.

कहीं ऐसा तो नहीं कि राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं डालने देने की नियत से बिट्टू सिंह पर उपरोक्त प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी तथा बिट्टू सिंह चुनाव में वोट नहीं डाल सके. केस में अंतिम प्रतिवेदन आनन-फानन में कैसे समर्पित किया गया. अनुसंधानकर्ता उपरोक्त केस में बढ़ती गए त्रुटियों को चिह्नित करें. क्योंकि यह भी उपरोक्त राज्यसभा चुनाव में विधायकों को प्रभावित करने या उन्हें वोट नहीं देने हेतु दबाव की प्रक्रिया का यह एक हिस्सा हो सकता है.

वहीं दूसरी ओर चमरा लिंडा ने अपने बयान में बताया था कि वे तबीयत खराब होने पर 8 जून 2016 को आर्किड अस्पताल में भर्ती हुए थे. उनके खिलाफ जगन्नाथपुर थाना में 21 मई 2013 को दर्ज केस में वारंट निकलने के कारण 11 जून 2016 को सुबह में गिरफ्तार कर लिया गया था. गिरफ्तारी के कारण और वोट डालने की अनुमति नहीं मिलने के कारण वह अपना वोट नहीं डाल सके. इसलिए अनुसंधानकर्ता को निर्देश दिया गया है कि उपरोक्त केस की जांच कर यह पता लगाये कि केस कब दर्ज हुआ था और वारंट कब निकला था.

क्या वारंट निर्गत करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य था. उन्हें गिरफ्तार कब किया गया और उनकी जमानत कब हुई. वर्तमान में इस केस में फाइनल रिपोर्ट की स्थिति क्या है. समीक्षा के दौरान यह भी पाया गया कि केस के अनुसंधानकर्ता ने सीआइडी एडीजी के निर्देश पर बिट्टू सिंह और उनकी पत्नी और व्यवसायिक प्रतिष्ठान का बैंक स्टेटमेंट हासिल किया है. जिसमें बिट्टू सिंह के जीएलए कॉलेज कैंपस डालटेनगंज एसबीआई खाता खाता की गहराई से जांच करने को कहा गया है. क्योंकि उसमें काफी राशि दिखायी पड़ रही है.

  • सीआइडी एडीजी अनिल पालटा ने रांची पुलिस को दिया निर्देश

  • पांकी के पूर्व विधायक देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू सिंह के खाते की भी होगी जांच

इन बिंदुओं पर जांच करने का निर्देश

दोनों के खिलाफ दर्ज केस के वैध कारण क्या थे

क्या वैध कारणों से ही कांड का अनुसंधान बंद किया गया था

कहीं ऐसा तो नहीं कि चुनाव में वोट नहीं डालने देने की नियत से बिट्टू सिंह पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी

केस में अंतिम प्रतिवेदन आनन-फानन में कैसे समर्पित किया गया

Posted By : Sameer Oraon

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